साप्ताहिक समीक्षा-धान-चावल

15-Nov-2025 08:47 PM

मांग एवं आपूर्ति के अनुरूप धान-चावल के दाम में मिश्रित रुख   

नई दिल्ली। सभी प्रमुख उत्पादक मंडियों में खासकर बासमती एवं 'ए' ग्रेड धान की आवक बढ़ने लगी है जबकि सामान्य श्रेणी बासमती धान का अधिकांश भाग सरकारी क्रय केन्द्रों पर पहुंच रहा है। वहां केन्द्रीय पूल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर इसकी भारी खरीद की जा रही है। केन्द्र सरकार ने धान का एमएसपी सामान्य श्रेणी के लिए 2369 रुपए प्रति क्विंटल तथा 'ए' ग्रेड के लिए 2389 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है। बताते चलें कि बासमती धान के लिए एमएसपी का निर्धारण नहीं होता है और इसका भाव बाजार पर निर्भर रहता है।
दिल्ली  
8-14 नवम्बर वाले सप्ताह के दौरान दिल्ली की नरेला मंडी में 30 से 50 हजार बोरी के बीच धान की दैनिक आवक हुई और कमजोर मांग के कारण कीमतों में 100 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई। नजफगढ़ मंडी में भी 10-20 हजार बोरी धान पहुंचा। छत्तीसगढ़ की भाटापाड़ा एवं राजिम मंडी में 7000 से 5000 बोरी के बीच (अलग-अलग) आवक आपूर्ति हुई। राजिम में भाव कुछ मजबूत रहा। 
पंजाब / अमृतसर 
पंजाब के अमृतसर में बासमती धान की खरीद में मिलर्स-प्रोसेसर्स की दिलचस्पी बनी हुई है तभी तो वहां विशाल आपूर्ति के बावजूद धान के दाम में 100 रुपए प्रति क्विंटल इजाफा दर्ज किया गया। तरन तारन मंडी में 3 नवम्बर को 90 हजार बोरी धान की आवक हुई थी जो घटते-घटते 14 नवम्बर को 40 हजार बोरी पर अटक गई। 
उत्तर प्रदेश 
उत्तर प्रदेश के विभिन्न मंडियों में बहुत पहले से बासमती  धान की आवक हो रही है। वहां एटा, मैनपुरी, जहांगीराबाद, शाहजहांपुर, अलीगढ़, खैर एवं डिबाई आदि मंडियों में धान की अच्छी आवक हो रही है। मध्य प्रदेश के डबरा, राजस्थान के कोटा एवं बूंदी तथा महाराष्ट्र के गोंडिया में भी अच्छी मात्रा में धान पहुंच रहा है। 
चावल 
जहां तक चावल का सवाल है तो इसकी खरीद में घरेलू व्यापारियों स्टॉकिस्टों एवं निर्यातकों की सामान्य दिलचस्पी देखी जा रही है। उत्तराखंड की नगर मंडी में स्टॉक की अच्छी उपलब्धता एवं खरीदारों की कमजोर मांग के कारण विभिन्न किस्मों के चावल के दाम में 200 से 400 रुपए प्रति क्विंटल तक की भारी गिरावट दर्ज की गई लेकिन राजस्थान के बूंदी में भाव 50 रुपए सुधर गए। दिल्ली के नया बाजार तथा हरियाणा के करनाल में मांग एवं आपूर्ति के बीच संतुलन होने से चावल की कीमतों में स्थिरता बनी रही।