दलहनों की MSP में बढ़ोतरी सराहनीय कदम, क्या इससे बाजार टिकाऊ और स्थिर रहेंगे?

01-Oct-2025 06:37 PM

दलहनों की MSP में बढ़ोतरी सराहनीय कदम, क्या इससे बाजार टिकाऊ और स्थिर रहेंगे?

आज रबी 2026-27 फसलों की MSP की घोषणा की गई जिसके अनुसार चना की MSP ₹225 और मसूर की ₹300 बढ़ाकर क्रमशः ₹5,875 और ₹7,000 की गई।

MSP बढ़ोतरी के बाद आज चना के भाव प्रमुख मंडियों में ₹50 तक चढ़ गए, वहीं दिल्ली में मसूर ₹25 प्रति क्विंटल मजबूत हुई। यह दर्शाता है कि MSP में वृद्धि का सकारात्मक असर बाजार पर तुरंत दिखाई दिया है।

पिछले वर्ष गेहूं और मक्का में बेहतर दाम मिलने से बुवाई में उल्लेखनीय बढ़ोतरी देखी गई थी। इसी तरह, दालों की ऊंची MSP किसानों को अधिक उत्पादन के लिए प्रेरित कर सकती है।

पिछले वित्त वर्ष (FY 2023-24) भारत ने मुख्यतः ऑस्ट्रेलिया से 15.6 लाख टन चना का आयात किया था। भारी आयात के चलते ऑस्ट्रेलिया का घरेलू स्टॉक लगभग खाली हो गया जिससे इस वित्त वर्ष (FY 2024-25) अप्रैल-जुलाई के दौरान चना आयात घटकर केवल 27,000 टन रह गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में 58,400 टन आयात हुआ था।

गौरतलब है कि दिसंबर से मार्च 2025 के बीच भारत ने औसतन प्रति माह 3 लाख टन की दर से कुल 13 लाख टन चना आयात किया था।


क्या MSP बढ़ोतरी के बाद बाजार भाव टिके रहेंगे?

चना:

ऑस्ट्रेलिया की नई 22 लाख टन की विशाल चना फसल की कटाई शुरू हो चुकी है, जो भारत के लिए निर्यात हेतु तैयार होगी। हालांकि राहत की बात यह है कि अब तक भारत के लिए अग्रिम जहाज की बुकिंग कमजोर है।

पिछले वर्ष की अच्छी पैदावार और आयात के कारण शुरुआत में उपलब्धता अच्छी थी, परंतु अब उपलब्धता कमजोर होने लगी है।


मसूर:

पिछले वर्ष भारत में मसूर की अच्छी पैदावार हुई थी, साथ ही बड़े पैमाने पर आयात भी हुआ।

FY 2023-24 में भारत ने रिकॉर्ड 18 लाख टन मसूर का आयात किया था, जो FY 2024-25 में यह घटकर 12 लाख टन रह गया।

इस कमी का मुख्य कारण था – घरेलू और आयातित दोनों स्तरों पर पर्याप्त उपलब्धता।

वर्तमान वित्त वर्ष में (अप्रैल-जुलाई) भारत ने 1,76,716 टन मसूर आयात की, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह आंकड़ा 2,81,317 टन था।

ऑस्ट्रेलिया इस वर्ष 17 लाख टन की रिकॉर्ड मसूर फसल की ओर बढ़ रहा है, वहीं कनाडा से भी अच्छी पैदावार बताई जा रही है।


अब आगे क्या?

MSP में बढ़ोतरी निश्चित रूप से किसानों को राहत और उत्साह देगी, किंतु सवाल यह है कि क्या इससे बाजार की स्थिरता बनी रहेगी?

यदि आयात पर नियंत्रण नहीं रखा गया तो विदेशी फसलों की आवक कीमतों पर दबाव डाल सकती है।

इसलिए, दीर्घकालिक स्थिरता के लिए MSP बढ़ोतरी के साथ आयात प्रबंधन और बफर नीति पर भी ध्यान देना होगा।


MSP वृद्धि एक सही दिशा में उठाया गया कदम है जो किसानों को प्रोत्साहन देगा। परंतु बाजार की स्थिरता तभी सुनिश्चित होगी जब घरेलू उत्पादन, आयात नीति और मांग-आपूर्ति का संतुलन कायम रखा जाए।