टुकड़ी चावल के शिपमेंट में भारतीय निर्यातकों को हो सकती है कठिनाई
13-Mar-2025 12:11 PM

नई दिल्ली। हालांकि केन्द्र सरकार ने 100 प्रतिशत टूटे (ब्रोकन) चावल के निर्यात पर सितंबर 2022 से लगे प्रतिबंध को 7 मार्च 2025 को हटाने का निर्णय लिया लेकिन व्यापार विश्लेषकों का कहना है कि भारतीय निर्यातकों को अपना खोया हुआ बाजार दोबारा हासिल करने में काफी कठिनाई हो सकती है।
एक अग्रणी निर्यातक के अनुसार प्रतिबंध लागू होने से पूर्व भारत से ब्रोकन चावल का निर्यात उछलकर काफी ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था और उस ऊंचाई तक पहुंचना निकट भविष्य में पहुंचना बहुत मुश्किल है
क्योंकि वैश्विक निर्यात बाजार में भारत को पाकिस्तान, म्यांमार एवं वियतनाम जैसे देशों की सख्त प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ेगा। इसके साथ-साथ घरेलू प्रभाग में भी एथनॉल निर्माताओं एवं पॉल्ट्री फीड उद्योग की कठिन चुनौती बरकरार रहेगी।
घरेलू बाजार में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम होने तथा कीमतों में नरमी आने से सरकार ने ब्रोकन चावल के निर्यात को खोलने का निर्णय लिया।
सरकार के पास भी चावल का विशाल भंडार मौजूद है जिससे किसी भी आयात स्थिति का सफलतापूर्वक सामना किया जा सकता है। उधर वैश्विक बाजार में चावल का दाम घटकर गत दो वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है। 12 मार्च 2025 को केन्द्रीय पूल में 367 लाख टन चावल का रिकॉर्ड स्टॉक मौजूद था।
एक अन्य निर्यातक के मुताबिक भारतीय टुकड़ी चावल फिलहाल अन्य देशों की तुलना में महंगा है। इसका निर्यात ऑफर मूल्य 360 डॉलर प्रति टन चल रहा है जबकि वियतनाम एवं पाकिस्तान में 307 डॉलर तथा थाईलैंड में 354 डॉलर प्रति टन ही बताया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2021-22 के दौरान जब भारत से गैर बासमती चावल का कुल निर्यात उछलकर 172.60 लाख टन के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था तब उसमें टुकड़ी चावल का योगदान 38.90 लाख टन रहा था।
अब घरेलू प्रभाग में एथनॉल निर्माण में टुकड़ी चावल का इस्तेमाल तेजी से बढ़ता जा रहा है। सरकारी चावल भी 2250 रुपए प्रति क्विंटल के रियायती मूल्य पर उपलब्ध हो रहा है। भारतीय निर्यातकों के लिए आगे का रास्ता सुगम नहीं दिखता है।