भारतीय मिलर्स द्वारा 6 लाख टन चीनी का निर्यात अनुबंध
13-Mar-2025 10:44 AM

मुम्बई। भारतीय मिलर्स द्वारा 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान अब तक करीब 6 लाख टन चीनी के निर्यात का अनुबंध किया जा चुका है लेकिन अब आगे कोई करार करने से वे हिचकने लगे हैं क्योंकि चीनी का घरेलू बाजार भाव ऊंचा और तेज होता जा रहा है।
मालूम हो कि केन्द्र सरकार द्वारा इस बार मिलर्स को 10 लाख टन चीनी का निर्यात करने की अनुमति दी गई है। ब्राजील के बाद भारत दुनिया में चीनी का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है।
वैश्विक बाजार में चीनी का दाम घटकर पिछले करीब तीन वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है जिससे भारत से इसके निर्यात की गति धीमी पड़ गई है।
घरेलू उत्पादन में भारी गिरावट आने की आशंका तथा ग्रीष्मकालीन महीनों में मांग में अच्छी बढ़ोत्तरी होने की संभावना को देखते हुए चीनी का घरेलू बाजार मूल्य मजबूत हो गया है। आगे इसमें कुछ और तेजी आने की उम्मीद की जा रही है।
व्यापार विश्लेषकों के अनुसार जनवरी में सरकार ने 10 लाख टन चीनी के निर्यात की स्वीकृति दी थी और फरवरी में इसके अनुबंध तथा शिपमेंट की गति अच्छी रही मगर चालू माह (मार्च) में रफ्तार धीमी पड़ गई है।
भारत में 2024-25 सीजन के दौरान चीनी का उत्पादन 258-264 लाख टन के बीच रहने का अनुमान लगाया जा रहा है जबकि इसका घरेलू उपयोग 280 से 290 लाख टन के बीच होने की संभावना व्यक्त की गई है।
10 लाख टन चीनी का निर्यात भी होगा। इसके फलस्वरूप आगामी महीनों में चीनी की मांग एवं आपूर्ति के बीच कुछ जटिलता पैदा हो सकती है।
एक अग्रणी डीलर के अनुसार 6 लाख टन के कुल अनुबंध में से करीब 2.50 लाख टन चीनी का निर्यात शिपमेंट (मिलों द्वारा डिस्पैच) हो चुका है। चीनी मिलें अनुबंधित मात्रा के तहत अपने उत्पाद की डिलीवरी दे रही है।
भारत की निम्न गुणवत्ता वाली सफेद चीनी का भाव लन्दन एक्सचेंज में प्रचलित वायदा मूल्य से करीब 20 डॉलर प्रति टन ऊंचा चल रहा है इसलिए आयातकों का रुझान ब्राजील की अच्छी क्वालिटी वाली चीनी की तरफ ज्यादा है जिसका दाम भारतीय चीनी के लगभग बराबर चल रहा है।