मानसून के जल्दी आने से गन्ना तथा चीनी के उत्पादन में वृद्धि के आसार
09-Jul-2025 04:57 PM

नई दिल्ली। चालू वर्ष के दौरान देश में नियत तिथि से करीब 8 दिन पूर्व ही दक्षिण-पश्चिम मानसून के पहुंच जाने तथा राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी बारिश होने से गन्ना की फसल को काफी फायदा हुआ है और इसके बेहतर उत्पादन की संभावना पैदा हो गई है। इसके फलस्वरूप प्लांटों को अधिक मात्रा में कच्चा माल प्राप्त हो सकता है और चीनी के उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सकती है।
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के अनुसार सामान्य औसत के मुकाबले इस बार जून में 9 प्रतिशत अधिक बारिश हुई और जुलाई में भी अधिशेष वर्षा होने की उम्मीद है।
यदि ऐसा हुआ तो अन्य खरीफ फसलों के साथ गन्ना को भी फायदा होगा। लेकिन यह देखना आवश्यक होगा कि गन्ना के प्रमुख उत्पादक इलाकों में बारिश की स्थिति कैसी रहती है। दरअसल महाराष्ट्र एवं कर्नाटक के साथ-साथ उत्तर प्रदेश, गुजरात एवं बिहार के कुछ क्षेत्रों में कम बारिश होने की सूचना मिल रही है।
वैश्विक स्तर पर चीनी का अधिशेष उत्पादन होने की संभावना के कारण पिछले तीन माह से इसकी कीमतों पर दबाव बना हुआ है। न्यूयार्क एक्सचेंज में चालू सप्ताह के आरंभ में जुलाई अनुबंध के लिए कच्ची चीनी (रॉ शुगर) का वायदा मूल्य लुढ़ककर पिछले सवा-चार साल के न्यूनतम स्तर पर अटक गया। इससे पूर्व अक्टूबर डिलीवरी के लिए भी गत सप्ताह वायदा मूल्य में भारी गिरावट आई थी।
उधर लन्दन एक्सचेंज में अगस्त सौदे के लिए सफेद चीनी का वायदा भाव घटकर पौने चार साल के निचले स्तर पर आ गया। एक अग्रणी व्यावसायिक प्रतिष्ठान- जारनिकोव ने 2025-26 के मार्केटिंग सीजन में चीनी का वैश्विक उत्पादन 75 लाख टन अधिशेष होने का अनुमान लगाया है जो पिछले 8 वर्षों का सबसे बड़ा अधिशेष उत्पादन होगा।
इससे पूर्व अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) ने 22 मई को जारी अपनी द्विवार्षिक रिपोर्ट में 2024- 25 के मुकाबले 2025-26 सीजन के दौरान चीनी का वैश्विक उत्पादन 4.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1893.18 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया था और चीनी का वैश्विक बकाया स्टॉक भी 7.5 प्रतिशत बढ़कर 411.88 लाख टन पर पहुंचने की संभावना व्यक्त की थी।
ब्राजील के बाद दुनिया के दूसरे सबसे प्रमुख चीनी उत्पादक देश- भारत में 2025-26 सीजन के दौरान इस महत्वपूर्ण मीठी वस्तु का उत्पादन 2024-25 की तुलना में 19 प्रतिशत बढ़कर 350 लाख टन पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया जा रहा है जिससे इसकी उपलब्धता काफी हद तक सुगम हो जाएगी।