केन्द्र सरकार तुवर की शत प्रतिशत खरीद के लिए प्रतिबद्ध
24-Apr-2025 11:06 AM

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार ने एक बार फिर कहा है कि वह देश में उत्पादित अरहर (तुवर) की सम्पूर्ण विपणन औसत मात्रा की खरीद के लिए प्रतिबद्ध है। मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के अंतर्गत तुवर की सरकारी खरीद 7550 रुपए प्रति क्विंटल की दर से की जा रही है।
सरकार ने आंध्र प्रदेश में अरहर की खरीद के लिए समय सीमा को 22 अप्रैल से एक माह के लिए बढ़ाकर 22 मई 2025 तक नियत कर दिया है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के एक बयान में कहा गया है कि दो प्राधिकृत एजेंसियों- भारतीय राष्ट्रीय सहकारी विपणन महासंघ (नैफेड) तथा भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ (एनसीसीएफ) द्वारा किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना एवं गुजरात जैसे राज्यों में तुवर की खरीद की जा रही है।
अभी तक 2.56 लाख से अधिक किसानों से 3.92 लाख टन तुवर की सरकारी खरीद हो चुकी है जबकि खरीद की प्रक्रिया अभी जारी है। इसके अलावा नैफेड के ई-समृद्धि पोर्टल तथा एनसीसीएफ के ई-संयुक्ति पोर्टल पर पूर्व में पंजीकृत किसानों से भी तुवर की खरीद हो रही है।
सरकार ने कहा है कि किसान तुवर की जितनी मात्रा बेचना चाहेंगे उसकी पूरी खरीद की जाएगी और नैफेड तथा एनसीसीएफ इसके लिए पहले से ही तैयार है।
कृषि मंत्रालय द्वारा 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के लिए विभिन्न उत्पादक प्रांतों में अब तक मूल्य समर्थन योजना के अंतर्गत कुल 13.22 लाख टन तुवर की खरीद की स्वीकृति दी जा चुकी है।
आमतौर पर तुवर की खरीद के लिए तीन माह का समय नियत किया जाता है मगर आंध्र प्रदेश में इसे चार माह निर्धारित किया गया है। वहां पूर्व निर्धारित समय सीमा 22 अप्रैल को समाप्त हो गई थी।
उल्लेखनीय है कि देश के लगभग सभी प्रमुख उत्पादक राज्यों में तुवर का थोक मंडी भाव घटकर न्यूनतम समर्थन मूल्य से नीचे आ गया है। विभिन्न मंडियों में इसका मॉडल मूल्य 6200 से 7000 रुपए प्रति क्विंटल के बीच चल रहा है।
मालूम हो कि इसी मॉडल मूल्य पर सर्वाधिक कारोबार होता है। घरेलू उत्पादन बेहतर होने तथा विदेशों से विशाल आयात का प्रवाह जारी रहने से तुवर की कीमतों पर दबाव काफी बढ़ गया है।
सरकार ने तुवर एवं उड़द के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा एक साल बढ़ाकर 31 मार्च 2026 तक नियत कर दिया है। म्यांमार में मई डिलीवरी के लिए लेमन तुवर का निर्यात मूल्य घटकर 815 डॉलर प्रति टन पर आ गया है जिसमें भारत पहुंचने के लिए शिपमेंट चार्ज भी शामिल है।