आयातक देशों की मांग मजबूत होने पर पाम तेल बाजार को मिलेगा समर्थन

24-Apr-2025 04:26 PM

पेटालिंग जया। पाम तेल के सबसे प्रमुख आयातक देश- भारत में जनवरी तथा फरवरी 2025 में इस महत्वपूर्ण वनस्पति तेल का आयात काफी घट गया क्योंकि निर्यातक देशों में इसका दाम काफी ऊंचे स्तर पर चल रहा था।

मार्च में आयात में थोड़ी बढ़ोत्तरी हुई लेकिन फिर भी यह सामान्य औसत मासिक स्तर से नीचे ही रहा। अप्रैल में भी भारत में पाम तेल के आयात में जोरदार बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद नहीं है लेकिन मलेशियन पाम ऑयल कौंसिल को भरोसा है कि मई और जून में भारत के साथ-साथ चीन में भी पाम तेल का आयात बढ़ सकता है। 

कौंसिल का कहना है कि पिछले कुछ महीनों से भारत में पाम तेल का आयात कम होने से स्टॉक घट गया है इसलिए उसे मई-जून में आयात बढ़ाने की आवश्यकता पड़ सकती है।

दरअसल अब पाम तेल का दाम भी घटकर काफी हद तक प्रतिस्पर्धी स्तर पर आ गया है जबकि पहले यह अपने प्रतिद्वंदी खाद्य तेलों और खासकर सोयाबीन तेल तथा सूरजमुखी तेल की तुलना में आकर्षक नहीं था। 

चीन में पाम तेल का स्टॉक काफी घट गया है और वह इसे बढ़ाने का प्रयास कर सकता है। परम्परागत रूप से वहां ग्रीष्मकालीन महीनों में इसकी मांग एवं खपत बढ़ जाती है। अमरीका के साथ जारी टैरिफ  बार के कारण भी चीन को पाम तेल का आयात बढ़ाना पड़ सकता है। 

मलेशियन पाम ऑयल कौंसिल (एम्पोक) के अनुसार आगामी सप्ताहों के दौरान मलेशियाई क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का वायदा भाव 3900 रिंगिट प्रति टन के आसपास रह सकता है जो आयातकों के लिए अनुकूल होगा और वे इस मूल्य स्तर पर आयात बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं।

दूसरी ओर सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल की कीमतों में कुछ वृद्धि होने की संभावना है। इससे पाम तेल की प्रतिस्पर्धी क्षमता बढ़ जाएगी।

पिछले दो-तीन महीनों से पाम तेल का निर्यात प्रदर्शन कमजोर रहने तथा बकाया अधिशेष स्टॉक बढ़ने से कीमतों पर दबाव पड़ रहा है। कुछ महीनों के बाद वहां उत्पादन का पीक सीजन आरंभ हो जाएगा इसलिए उत्पादक एवं निर्यातक सीपीओ का स्टॉक घटाने के लिए कीमतों को आकर्षक स्तर पर रख सकते हैं।