चावल का वैश्विक बाजार नरमी की गिरफ्त में
09-Jul-2025 03:28 PM

हैदराबाद। मांग एवं उठाव की तुलना में आपूर्ति एवं उपलब्धता ज्यादा होने से वैश्विक बाजार में चावल की कीमतों में नरमी का माहौल बना हुआ है।
संयुक्त राष्ट्र संघ की अधीनस्थ एजेंसी- खाद्य एवं कृषि संगठन (फाओ) का सभी चावल मूल्य सूचकांक घटकर पिछले करीब पांच साल के निचले स्तर पर आ गया है।
बाजार पर नरमी की गिरफ्त मजबूत बनी हुई है क्योंकि लम्बे अरसे के बाद थाईलैंड के 5 प्रतिशत टूटे सफेद चावल का निर्यात ऑफर मूल्य घटकर 400 डॉलर प्रति टन से कम रह गया है।
दुनिया के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- भारत से सभी किस्मों एवं श्रेणियों के चावल का व्यापारिक निर्यात पूरी तरह नियंत्रण मुक्त हो चुका है।
फाओ तथा अमरीकी कृषि विभाग (उस्डा) सहित अन्य वैश्विक एजेंसियों ने 2025-26 के मार्केटिंग सीजन के दौरान विश्व स्तर पर चावल का उत्पादन बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान लगाया है क्योंकि भारत सहित अन्य प्रमुख उत्पादक देशों में मौसम की हालत अनुकूल बनी हुई है।
इससे संकेत मिलता है कि आगामी महीनों के दौरान भी चावल के वैश्विक बाजार मूल्य में ज्यादा सुधार नहीं हो पाएगा। एजेंसियों ने 2024-25 सीजन के उत्पादन का आंकड़ा एवं 2025-26 सीजन के उत्पादन का अनुमान बढ़ा दिया है।
इसका प्रमुख कारण भारत में उत्पादन की बेहतर स्थिति रहना माना जा रहा है। इसके अलावा बांग्ला देश, पाकिस्तान तथा वियतनाम में भी चावल के उत्पादन अनुमान में बढ़ोत्तरी की गई है जबकि इराक तथा अमरीका के उत्पादन अनुमान में कटौती कर दी गई है।
चावल की कीमतों के बारे में फाओ ने कहा है कि सभी चावल का मूल्य सूचकांक 2.2 प्रतिशत गिरकर 105.5 बिंदु पर आ गया। जून माह के दौरान एशियाई देशों में चावल का व्यापार कम हुआ
क्योंकि आयातक देशों में मांग कमजोर रही तथा शिपमेंट खर्च में इजाफा होने से कंटेनरों में कारोबार कुछ हद तक प्रभावित हुआ वर्ष 2025 के आरंभ से ही चावल का भाव नरम बना हुआ है जबकि वर्ष 2024 में यह अत्यन्त ऊंचे स्तर पर पहुंच गया था जब भारत ने कुछ किस्मों के निर्यात पर पाबंदी लगा दी थी।
अब सारे प्रतिबंध एवं शुल्क हट चुके हैं। भारत में चावल का अत्यन्त विशाल निर्यात योग्य स्टॉक मौजूद है और अगला उत्पादन भी शानदार होने वाला है। यह सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकता है।