कृषक संगठनों द्वारा सरकार से दलहनों का आयात नियंत्रित करने का आग्रह
31-Jul-2025 06:16 PM

मुंबई। विदेशों से विशाल मात्रा में सस्ते दलहनों का आयात जारी रहने से घरेलू प्रभाग में उसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ने के कारण कीमतों में भारी गिरावट आ गयी है और भारतीय किसानों को अपने उत्पाद का लाभप्रद मूल्य हासिल करने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है।
खरीफ सीजन की दो प्रमुख फसल अरहर (तुवर) एवं उड़द की बिजाई गत वर्ष से पीछे चल रही है। इसे देखते हुए उत्पादकों एवं व्यापारियों के एक संगठन ने केन्द्र सरकार से सस्ते दलहनों के आयात पर नियंत्रण लगाने का आग्रह किया है ताकि घरेलू बाजार भाव स्थिर हो सकें और किसानों को दलहनों का उत्पादन क्षेत्र बढ़ाने का प्रोत्साहन मिल सके।
एग्री फार्मर एंड ट्रेड एसोसिएशन (आफ्टा) के अध्यक्ष का कहना है कि वर्तमान समय में देश के अंदर दलहनों की आपूर्ति जरुरत से ज्यादा हो रही है और भारतीय बंदरगाह रूस तथा कनाडा से आयातित पीली मटर की भारी मात्रा से भरे पड़े हैं।
अन्य देशों से भी दलहनों का भारी आयात जारी है। इसे देखते हुए एसोसिएशन ने सरकार से सस्ते आयात पर अंकुश लगाने का जोरदार आग्रह किया है। अभी खरीफ फसलों की बिजाई का सीजन चल रहा है।
सरकार ने 31 मार्च 2026 तक तुवर, उड़द एवं पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे रखी है जबकि देसी चना एवं मसूर के आयात पर 10 प्रतिशत का मामूली सीमा शुल्क लगा रखा है।
सरकार ने अगले 2-3 वर्षों में दाल-दलहनों के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाने का जो लक्ष्य रखा है वह मौजूदा नियमों के कारण हासिल होना असंभव लगता है यदि इस संकल्प को पूरा करना है तो दलहनों के आयात पर अंकुश लगाना ही होगा।
पिछले साल रबी सीजन के दौरान जब चना के बिजाई क्षेत्र में गिरावट आई थी तब एसोसिएशन ऐसा पहला संगठन था जिसने सरकार से पीली मटर पर आयात शुल्क घटाने का आग्रह किया था।
लेकिन अब हालात बिलकुल बदल गये हैं इसलिए सरकार को भी अपनी नीति में आवश्यक एवं व्यावहारिक बदलाव करना चाहिए। पीली मटर का आयात 400 डॉलर प्रति टन से भी नीचे मूल्य पर हो रहा है।