ज्वार और जौ का क्षेत्रफल गत वर्ष से पीछे
04-Dec-2023 06:43 PM
नई दिल्ली । रबी सीजन के दो महत्वपूर्ण मोटे अनाज- ज्वार एवं जौ का बिजाई क्षेत्र गत वर्ष से पीछे चल रहा है। ज्वार की खेती तो खरीफ और रबी- दोनों सीजन में होती है मगर जौ रबी सीजन की खास फसल है।
यद्यपि सरकार द्वारा इन दोनों फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाया गया है और इसकी बिजाई के लिए परिस्थितियां भी अनुकूल हैं लेकिन फिर भी क्षेत्रफल में गिरावट देखी जा रही है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार अखिल भारतीय स्तर पर रबी कालीन ज्वार का उत्पादन क्षेत्र गत वर्ष के 18.21 लाख हेक्टेयर से घटकर इस बार 16.73 लाख हेक्टेयर रह गया है जिसका प्रमुख कारण महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं तमिलनाडु में कम बिजाई होना है।
पिछले साल के मुकाबले चालू रबी सीजन के दौरान ज्वार का उत्पादन क्षेत्र महाराष्ट्र में 9.88 लाख हेक्टेयर से गिरकर 9.62 लाख हेक्टेयर, कर्नाटक में 5.48 लाख हेक्टेयर का घटकर 4.54 लाख हेक्टेयर तथा में 1.81 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 1.49 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
इसी तरह इसका रकबा गुजरात में 36 हजार हेक्टेयर से घटकर 15 हजार हेक्टेयर पर आ गया लेकिन अन्य प्रांतों में यह 68 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 93 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया। ज्वार की बिजाई की गति अब भी धीमी चल रही है।
जहां तक जौ का सवाल है तो सबसे प्रमुख उत्पादक प्रान्त- राजस्थान में ऊंचे भाव के कारण इसका उत्पादन क्षेत्र बढ़ने की उम्मीद की जा रही थी लेकिन अभी तक यह गत वर्ष से कुछ पीछे है। लेकिन उत्तर प्रदेश में इसका रकबा बढ़ा है।
राष्ट्रीय स्तर पर इसका कुल उत्पादन क्षेत्र 7.92 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा है जो है जो पिछले साल के बिजाई क्षेत्र 7.98 लाख हेक्टेयर से कुछ ही कम है।
समीक्षाधीन अवधि के दौरान जौ का क्षेत्रफल राजस्थान में 3.37 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.18 लाख हेक्टेयर रह गया जबकि उत्तर प्रदेश में 1.07 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 1.49 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।
इसके अलावा मध्य प्रदेश में 25 हजार हेक्टेयर एवं हरियाणा में 8 हजार हेक्टेयर में जौ की खेती हुई है जो गत वर्ष के लगभग बराबर रही है। देश के अन्य राज्यों में जौ का रकबा 3.21 लाख हेक्टेयर से घटकर 2.92 लाख हेक्टेयर रह गया है।