गुजरात में अनेक खरीफ फसलों के उत्पादन क्षेत्र में गिरावट
22-Jul-2025 10:47 AM

अहमदाबाद। देश के पश्चिमी प्रान्त- गुजरात में इस बार मानसूनी बारिश का वितरण असमान देखा जा रहा है। राज्य के कुछ जिलों में अत्यन्त मूसलाधार बारिश हुई है जबकि कुछ अन्य जिलों में वर्षा का अभाव बना हुआ है। इसके फलस्वरूप अधिकांश खरीफ फसलों का रकबा गत वर्ष से पीछे हो गया है। उल्लेखनीय है कि गुजरात देश में मूंगफली, कपास एवं अरंडी का सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है।
राज्य कृषि विभाग के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि गुजरात में खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र पिछले साल के 63.28 लाख हेक्टेयर से करीब 4.90 लाख हेक्टेयर घटकर इस बार 58.39 लाख हेक्टेयर रह गया।
इसके तहत धान एवं मोटे अनाजों का बिजाई क्षेत्र 8.35 लाख हेक्टेयर से घटकर 6.88 लाख हेक्टेयर, दलहन फसलों का क्षेत्रफल 2.54 लाख हेक्टेयर से गिरकर 1.94 लाख हेक्टेयर तथा कपास का रकबा 22.34 लाख हेक्टेयर से घटकर 19.62 लाख हेक्टेयर पर अटक गया। दूसरी ओर तिलहन फसलों का उत्पादन क्षेत्र 21.62 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.48 लाख हेक्टेयर तथा ग्वार का रकबा 31 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 41 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया।
पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान राज्य में धान का उत्पादन क्षेत्र 4.15 लाख हेक्टेयर से घटकर 3.42 लाख हेक्टेयर, बाजरा का बिजाई क्षेत्र 1.28 लाख हेक्टेयर से फिसलकर 1.24 लाख हेक्टेयर ज्वार का क्षेत्रफल 13 हजार हेक्टेयर से लुढ़ककर 3 हजार हेक्टेयर तथा मक्का का रकबा 2.75 लाख हेक्टेयर से गिरकर 2.19 लाख हेक्टेयर पर सिमट गया।
दलहन फसलों में भी अरहर (तुवर) का उत्पादन क्षेत्र 1.70 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.17 लाख हेक्टेयर तथा उड़द का बिजाई क्षेत्र 50 हजार हेक्टेयर से गिरकर 39 हजार हेक्टेयर रह गया लेकिन मूंग का क्षेत्रफल 27 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 33 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया।
मूंगफली एवं अरंडी के सहारे गुजरात में तिलहन फसलों की बिजाई गत वर्ष से आगे चल रही है। उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार गत वर्ष की तुलना में इस बार मूंगफली का उत्पादन क्षेत्र 18.28 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 19.42 लाख हेक्टेयर,
अरंडी का बिजाई क्षेत्र 23 हजार हेक्टेयर से उछलकर 55 हजार हेक्टेयर तथा तिल का रकबा 25,600 हेक्टेयर से सुधरकर 25,900 हेक्टेयर पर पहुंचा मगर सोयाबीन का क्षेत्रफल 2.86 लाख हेक्टेयर से घटकर 2.25 लाख हेक्टेयर रह गया। कुछ जिलों में खेतों में पानी भरा हुआ है जिसके सूखने पर वहां बिजाई आरंभ हो सकती है।