दलहनों में आत्मनिर्भरता मिशन के समक्ष है अनेक गंभीर चुनौतियां
23-Oct-2025 01:38 PM

नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्रिमंडल द्वारा हाल ही में 2025-26 से 2030-31 के 6 वर्षों की अवधि के लिए दलहनों में आत्मनिर्भरता के मिशन को अनुमोदित किया गया है।
इसके लिए 11,440 करोड़ रुपए का वित्तीय प्रावधान रखा गया है इस मिशन के तहत दलहनों के बिजाई क्षेत्र, औसत उपज दर तथा कुल उत्पादन का जो लक्ष्य निर्धारित हुआ है उसे हासिल करना असंभव तो नहीं मगर बेहद कठिन अवश्य है। दूसरी ओर यह लक्ष्य हासिल होना भी आवश्यक है अन्य आदेश में विदेशी दलहनों का विशाल आयात निरन्तर जारी रह सकता है।
भारत में एक तरफ दलहनों की मांग एवं खपत तेजी से बढ़ती जा रही है तो दूसरी ओर पैदावार में स्थिरता या गिरावट का माहौल बना हुआ है। इसके फलस्वरूप दलहनों की मांग एवं आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ता जा रहा है।
वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान देश में 70 लाख टन से अधिक दलहनों का रिकॉर्ड आयात हुआ जो इसकी कुल घरेलू खपत 252 लाख टन का करीब 30 प्रतिशत था।
इससे पूर्व 2023-24 में लगभग 47 लाख टन दलहन का आयात हुआ था। अगले 5-6 वर्षों में इस विशाल खाई को पाटना कोई आसान काम नहीं है।
हाल के वर्षों में दलहनों के बिजाई क्षेत्र में काफी गिरावट आई है। 2021-22 के सम्पूर्ण सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर दलहनों का कुल उत्पादन क्षेत्र 310 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा था जो 2022-23 में घटकर 289 लाख हेक्टेयर और 2023-24 में गिरकर 275 लाख हेक्टेयर पर आ गया। 2024-25 के सीजन में क्षेत्रफल लगभग स्थिर रहा।
इसी तरह दलहनों का उत्पादन भी 2021-22 सीजन के 273 लाख टन से घटकर 2022-23 में 261 लाख टन तथा 2023-24 में गिरकर 242 लाख टन पर अटक गया।
2024-25 के दौरान यह 10 लाख टन बढ़कर 252 लाख टन पर पहुंचा। दलहन मिशन को पूरी सक्रियता, सटीकता एवं गतिशीलता के साथ आगे बढ़ना होगा क्योंकि दाल-दलहन की घरेलू खपत निरन्तर बढ़ती जाएगी। किसानों का भरोसा तथा आकर्षण बढ़ाने की सख्त आवश्यकता है।