सरकारी स्टॉक की कम बिक्री होने से सरसों तथा तेल का भाव हुआ तेज

26-Aug-2025 01:10 PM

भरतपुर। पिछले कुछ महीनों से सरसों फीड एवं सरसों तेल के घरेलू बाजार भाव में जबरदस्त तेजी-मजबूती का माहौल देखा जा रहा है जिससे आम आदमी की  परेशानी बढ़ गई है।

हालांकि उद्योग व्यापार संगठनों तथा केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने सरसों के उत्पादन का जो अनुमान लगाया वह घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने में सक्षम है लेकिन कीमतों में आ रही जोरदार तेजी से प्रतीत होता है कि वास्तविक उत्पादन उस अनुमान से कम हुआ है। पिछले एक साल के दौरान सरसों तेल के दाम में 34 प्रतिशत का भारी इजाफा हो गया। 

एक महत्वपूर्ण संस्था- मस्टर्ड ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (मोपा) के वाइस प्रेसिडेंट दीपक डाटा ने  सरसों एवं इसके तेल की कीमतों में हुई भारी वृद्धि के लिए दो कारकों को जिम्मेवार माना है।

उनका कहना है कि अन्य खाद्य तेलों की भांति सरसों तेल भी अंतर्राष्ट्रीय बाजार में होने वाले परिवर्तनों पर काफी हद तक निर्भर हो गया है। जब आयातित खाद्य तेल  महंगा होता है तब सरसों तेल की कीमत भी स्वाभाविक रूप से तेज हो जाती है।

दीपक डाटा के अनुसार केन्द्र सरकार (नैफेड) के पास सरसों का अच्छा स्टॉक मौजूद है लेकिन इसे खुले बाजार में सीमित मात्रा में उतारा जा रहा है।

पिछले महीने सरकारी स्टॉक से 1.50 लाख टन से कुछ अधिक सरसों की बिक्री हुई जबकि बाजार की तेजी को नियंत्रित करने के लिए  2.25-2.50 लाख टन सरसों का स्टॉक उतारा जाना आवश्यक है।

इससे इस मत्वपूर्ण तिलहन की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ेगी और कीमतों में नरमी आने की संभावना बनेगी। किसानों और व्यापारियों के पास सरसों का अच्छा स्टॉक मौजूद है मगर इसकी बिक्री की गति धीमी चल रही है जिससे बाजार में तेजी कायम हो।

भारत में पिछले पांच साल में पहली बार सरसों तेल का आयात होने जा रहा है। संयुक्त अरब अमीरात से 6000 टन सरसों-रेपसीड तेल मंगाया गया है।

इसकी खेप चालू माह के अंत तक गुजरात के कांडला बंदरगाह पर पहुंचने की संभावना है। आगे भी बाजार में ज्यादा नरमी आना मुश्किल है। आना मुश्किल है।