रिकॉर्ड सरकारी खरीद के बावजूद तिलहन बाजार में तेजी का अभाव

24-Apr-2025 11:36 AM

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार द्वारा 2024-25 के खरीफ एवं रबी सीजन के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर 60 लाख टन से अधिक तिलहनों की खरीद की स्वीकृति प्रदान की गई है जिसमें सोयाबीन, मूंगफली और सरसों मुख्य रूप से शामिल हैं।

इसके अलावा 50 लाख टन दलहनों की खरीद के लिए भी अनुमति दी गई है जिसमें तुवर, चना, उड़द, मसूर और मूंग सम्मिलित हैं। मूल्य समर्थन योजना (पीएसएस) के तहत प्रमुख उत्पादक राज्यों में किसानों से दलहन-तिलहन की खरीद की जा रही है। 

खरीफ कालीन तिलहन फसलों- सोयाबीन तथा मूंगफली की सरकारी खरीद की प्रक्रिया बंद हो चुकी है और अब सरसों की जोरदार खरीद का प्रयास किया जा रहा है।

खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान लगभग 35 लाख टन तिलहन (मुख्यत: सोयाबीन एवं मूंगफली) की सरकारी खरीद की गई जो एक नया रिकॉर्ड है।

चालू रबी मार्केटिंग सीजन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कुल मिलाकर 28.60 लाख टन सरसों की खरीद की अनुमति दी गई है जिसमें से लगभग 3.40 लाख टन की खरीद पूरी हो चुकी है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्री पहले ही कह चुके हैं कि उत्पादकों को आकर्षक एवं लाभप्रद मूल्य प्रदान करने के लिए सरकार दलहनों एवं तिलहनों की अधिक से अधिक खरीद सुनिश्चित करेगी और दो प्राधिकृत एजेंसियां- नैफेड तथा एनसीसीएफ इसमें पूरी सक्रियता दिखा रही हैं।

हैरानी की बात है कि रिकॉर्ड सरकारी खरीद के बावजूद तिलहनों और खासकर सोयाबीन का थोक बाजार भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य से काफी नीचे चल रहा है।

नैफेड द्वारा अपने स्टॉक से सोयाबीन बेचने की तैयारी की जा रही है जबकि मूंगफली की बिक्री आरंभ की जा चुकी है। इसी तरह पिछले रबी मार्केटिंग सीजन में खरीदी गई सरसों की बिक्री भी नियमित रूप से हो रही है।

विदेशों से भारी मात्रा में खाद्य तेलों का आयात हो रहा है जिससे घरेलू प्रभाग में तिलहन-तेल की आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति अत्यन्त सुगम हो गई है। 

बिजाई क्षेत्र में गिरावट आने से इस बार सरसों का उत्पादन कुछ घटने की संभावना है मगर इसके दाने की क्वालिटी काफी अच्छी है। किसान नीचे दाम पर इसे बेचना नहीं चाहते जबकि मिलर्स- प्रोसेसर्स को ऊंचे मूल्य पर इसकी खरीद का प्रोत्साहन नहीं मिल रहा है क्योंकि तेल एवं खल का भाव नीचे है।