केन्द्रीय पूल में चावल का विशाल स्टॉक होने से कीमतों पर बढ़ सकता है दबाव
20-Nov-2023 07:57 PM
नई दिल्ली । समझा जाता है कि यदि निकासी की गति तेज नहीं हुई तो 2023-24 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के अंत में केन्द्रीय पूल में चावल का विशाल अधिशेष स्टॉक मौजूद रह सकता है।
इससे खाद्य सब्सिडी व्यय में भारी इजाफा होगा। खाद्यान्न के भंडारण का खर्च बढ़ता जा रहा है जबकि गोदामों / वेयर हाउसों में अनाज की क्षति भी बढ़ सकती है।
चावल का पिछला बकाया स्टॉक ऊंचा था और चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन में इसकी अच्छी खरीद भी हो रही है। यह खरीदारी 31 मार्च 2024 तक जारी रहेगी और 1 अप्रैल 2024 से रबी कालीन धान-चावल की खरीद आरंभ हो जाएगी।
इसके फलस्वरूप भारतीय खाद्य निगम के पास चावल का कुल स्टॉक न्यूनतम आवश्यक मात्रा के दोगुने से भी ज्यादा बढ़ जाएगा। वर्तमान समय में खाद्य निगम के स्वमित्व में 194.40 लाख टन चावल का भंडार मौजूद है जनवरी 1 जनवरी 2024 को उसके पास कम से कम 76.10 लाख टन चावल का स्टॉक अवश्य होना चाहिए। इसमें चावल का वह 230 लाख टन का स्टॉक शामिल नहीं है जो खाद्य निगम को राइस मिलर्स से आगे प्राप्त होना है।
ध्यान देने की बात है कि घरेलू प्रभाग में चावल की आपूर्ति एवं उपलब्धता बढ़ाने तथा कीमतों में तेजी पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से सरकार (खाद्य निगम) द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत केन्द्रीय पूल से चावल की बिक्री जा रही है मगर इसकी खरीद में व्यापारी-स्टॉकिस्ट ज्यादा दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं।
वैसे भी देश से सफेद (कच्चे) गैर बासमती चावल के व्यापारिक निर्यात पर प्रतिबंध लगा हुआ है जबकि सेला चावल पर 20 प्रतिशत का निर्यात शुल्क लागू है।
भारतीय खाद्य निगम एवं उसकी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों द्वारा चालू खरीफ मार्केटिंग सीजन में अब तक करीब 170 लाख टन चावल के समतुल्य धान की खरीद की जा चुकी है।
सम्पूर्ण मार्केटिंग सीजन के दौरान इसकी कुल खरीद 500 लाख टन से ऊपर पहुंच जाने का अनुमान है जबकि केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने 521,27 लाख टन की खरीद का लक्ष्य निर्धारित किया है।
कल्याणकारी योजनाओं में वार्षिक वितरण के लिए करीब 400 लाख टन चावल की आवश्यक पड़ती है। रबी सीजन में भी 50-60 लाख टन चावल खरीद खरीद होती है।