मानसून के जोर पकड़ने से खरीफ फसलों के बेहतर उत्पादन के आसार

30-Jun-2025 05:10 PM

नई दिल्ली। दक्षिण-पश्चिम मानसून के वापस पटरी पर लौटने और देश के विभिन्न भागों में अच्छी वर्षा होने से खरीफ फसलों के बिजाई क्षेत्र तथा उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने के आसार है जिससे न केवल खाद्य महंगाई पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी बल्कि ग्रामीण इलाकों में एफएमसीजी उत्पादों की मांग एवं खपत बढ़ने की उम्मीद भी रहेगी।

इससे राष्ट्रीय अर्थ व्यवस्था को मजबूती प्राप्त होगी। वैसे देश के विभिन्न भागों में वर्षा का असमान वितरण हो रहा है लेकिन धीरे-धीरे स्थिति सामान्य होने लगी है। खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार बेहतर है और इसकी अच्छी प्रगति भी हो रही है।  

अर्थ शास्त्रियों का कहना है कि सरकार ने 2025-26 सीजन के लिए धान सहित सभी खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में भारी बढ़ोत्तरी कर दी है और इससे किसानों का उत्साह एवं मनोबल बढ़ गया है। यदि उत्पादन अच्छा हुआ तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्र की अर्थ व्यवस्था मजबूत होगी।

कृषक समुदाय की क्रय शक्ति बढ़ने पर बाजार में विभिन्न उत्पादों की मांग भी बढ़ जाएगी। जिन इलाकों में पहले बारिश का अभाव था वहां भी मानसून अब पहुंच रहा है। उधर बांधों-जलाशयों में पानी का स्तर बढ़ने लगा है जिससे फसलों की सिंचाई में आगे सहायता मिलेगी। 

सही समय पर समान वितरण के साथ मानसून की वर्षा खरीफ फसलों के लिए महत्वपूर्ण होती है क्योंकि देश का करीब 45 प्रतिशत कृषि क्षेत्र बारिश पर ही आश्रित है।

मौसम विभाग ने इस वर्ष सामान्य औसत के सापेक्ष देश में 108 प्रतिशत बारिश होने का अनुमान लगाया है लेकिन समस्या यह रहती है कि कुछ क्षेत्रों में अत्यन्त मूसलाधार वर्षा होने से भयंकर बाढ़ का खतरा रहता है जबकि कुछ भाग सूखे की चपेट में फंस जाता है।

इससे खाद्यान्न, दलहन एवं तिलहन सहित अन्य फसलों का उत्पादन प्रभावित होता है। ध्यान देने की बात है कि भारतीय रिजर्व बैंक भी पहले मानसून के नियत समय से पूर्व ही आने तथा सामान्य औसत से अधिक वर्षा होने से यह उम्मीद व्यक्त कर चुका है

कि खरीफ फसलों का उत्पादन बढ़ने पर खाद्य महंगाई में कमी आएगी और खासकर दलहनों तथा खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता घटाने में मदद मिलेगी। सरकार के पास चावल का विशाल स्टॉक मौजूद है

मगर दलहन-तिलहन का उत्पादन अनिश्चित बना हुआ है। यह गंभीर चिंता का विषय है। तुवर एवं सोयाबीन की बिजाई बढ़ाने की आवश्यकता है। मोटे अनाजों की संतोषजनक बिजाई हो रही है।