घरेलू उत्पादन बढ़ाने हेतु दलहन-तिलहन फसलों के एमएसपी में भारी बढ़ोत्तरी
29-May-2025 11:15 AM

नई दिल्ली। विदेशों से दलहनों एवं खाद्य तेलों के रिकॉर्ड आयात और उस पर खर्च होने वाली विशाल धनराशि से चिंतित सरकार स्वदेशी स्रोतों से इसका उत्पादन बढ़ाने पर विशेष जोर दे रही है।
इसी प्रयास के क्रम में 2025-26 के खरीफ सीजन हेतु दलहन-तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 400 रुपए प्रति क्विंटल से अधिक का इजाफा किया गया है।
2024-25 की तुलना में 2025-26 के खरीफ सीजन हेतु उड़द का एमएसपी 7400 रुपए से 400 रुपए बढ़ाकर 7800 रुपए प्रति क्विंटल, अरहर (तुवर) का 7550 रुपए से 450 रुपए बढ़ाकर 8000 रुपए प्रति क्विंटल तथा मूंग का समर्थन मूल्य 8682 रुपए प्रति क्विंटल से 86 रुपए बढ़ाकर 8768 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
मूंग के समर्थन मूल्य पर करने का संकल्प व्यक्त कर चुकी है। उद्योग- व्यापार क्षेत्र के विश्लेषकों का कहना है कि जब तक विदेशों से सस्ते दाम पर दलहनों के विशाल आयात को रोकने के लिए आवश्यक कदम नहीं उठाए जाएंगे तब तक घरेलू किसानों को अपने उत्पादकों का न तो लाभप्रद मूल्य प्राप्त होगा और न ही दलहनों का उत्पादन बढ़ाने का समुचित प्रोत्साहित मिल सकेगा।
दलहनों की भांति प्रमुख खरीफ कालीन तिलहन फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी जोरदार इजाफा किया। 2024-25 सीजन के मुकाबले 2025-26 सीजन के लिए सोयाबीन (पीली) का समर्थन मूल्य 4892 रुपए प्रति क्विंटल से 436 रुपए बढ़ाकर 5328 रुपए प्रति क्विंटल, मूंगफली का 6783 रुपए से 480 रुपए बढ़ाकर 7263 रुपए प्रति क्विंटल,
तिल का एमएसपी 9267 रुपए प्रति क्विंटल से 579 रुपए बढ़ाकर 9846 रुपए प्रति क्विंटल, सूरजमुखी का न्यूनतम समर्थन मूल्य 7280 रुपए प्रति क्विंटल से 441 रुपए बढ़ाकर 7721 रुपए प्रति क्विंटल तथा नाइजरसीड का समर्थन मूल्य 8717 रुपए से 820 रुपए बढ़ाकर 9537 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है।
इतना ही नहीं बल्कि कपास के न्यूनतम समर्थन मूल्य में भी 589 रुपए प्रति क्विंटल की भारी बढ़ोत्तरी की गई है जिससे इसका एमएसपी मध्यम रेशेवाली श्रेणी के लिए 7121 रूपए से बढ़ाकर 7710 रुपए प्रति क्विंटल और लम्बे रेशेवाली किस्मों के लिए 7521 रुपए प्रति क्विंटल से बढ़ाकर 8110 रुपए प्रति क्विंटल हो गया है।
हालांकि 2023-24 सीजन के मुकाबले 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (नवम्बर-अक्टूबर) के दौरान खाद्य तेलों के आयात में कुल गिरावट देखी जा रही है लेकिन आगामी महीनों में आयात बढ़ने की संभावना है।
खरीफ कालीन दलहन-तिलहन फसलों के बिजाई का अभियान शुरू होने से ठीक पहले न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी होने से किसानों को निर्णय लेने में आसानी होगी।