ईसबगोल के भाव न्यूनतम स्तर : मंदे की संभावना नहीं
30-May-2025 06:54 PM

नई दिल्ली। विगत कुछ समय से ईसबगोल की कीमतों में मन्दा चल रहा है वर्तमान में कीमतें अपने न्यूतनम स्तर पर आ गई हैं। सूत्रों का कहना है कि उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर ईसबगोल की दैनिक आवक घटनी शुरू हो गई है। इसके अलावा ईसबगोल के भाव भी गत वर्ष की तुलना में 25/30 रुपए प्रति किलो मंदे बोले जा रहे हैं। वर्तमान में प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान की नौखा, मेडता, नागौर मंडी में ईसबगोल के भाव 100/125 रुपए प्रति किलो पर बोले जा रहे हैं। जबकि गुजरात की ऊंझा मंडी में भाव 105/130 रुपए के चल रहे हैं। जोकि गत वर्ष की तुलना में 25/30 रुपए कम है।
आवक घटी
अप्रैल माह में उत्पादक केन्द्रों की मंडियों पर नए मालों की आवक का दबाव बना हुआ था जोकि वर्तमान में घट गया है। उल्लेखनीय है कि ऊंझा मंडी में सीजन पर ईसबगोल की आवक 24/25 हजार बोरी की हो गई थी जोकि वर्तमान में घटकर 6/7 हजार बोरी की रह गई है। राजस्थान की मेडता, नागौर, नौखा मंडी में भी आवक घटकर 3/4 हजार बोरी की रह गई है।
उत्पादन
हालांकि चालू सीजन के दौरान देश में ईसबगोल का उत्पादन कम रहा मगर गत वर्ष का बकाया स्टॉक अधिक रहने के कारण कीमतें नहीं बढ़ पाई है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 के दौरान ईसबगोल की कीमतें 255/270 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर बोली जाने के कारण वर्ष 2024 में देश में ईसबगोल का रिकॉर्ड उत्पादन 38/40 लाख बोरी (प्रत्येक बोरी 70/75 किलो) के स्तर पर पहुंच गया। वर्ष 2024 के दौरान ईसबगोल के भाव मंदे रहने के कारण किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य नहीं मिला जिस कारण से किसानों ने ईसबगोल की बिजाई कम क्षेत्रफल पर की। जिस कारण से वर्ष 2025 के दौरान ईसबगोल की पैदावार 28/30 लाख बोरी रहने के समाचार है।
मंदा नहीं
जानकार सूत्रों का कहना है कि हाल-फिलहाल ईसबगोल की कीमतों में अधिक तेजी की संभावना नहीं है लेकिन वर्तमान भावों में अब मंदा भी संभव नहीं है। सूत्रों का मानना है कि अभी बाजार 3/5 रुपए प्रति किलो मंदा तेजी के साथ चलते रहेंगे। जुलाई के पश्चात कीमतों में 10/15 रुपए प्रति किलो की तेजी संभव है। क्योंकि भाव काफी घट जाने के कारण जून माह के दौरान मंडियों में भाव और घट जायेंगे। इसके अलावा निर्यात मांग में भी सुधार होने के अनुमान लगाए जा रहे हैं।