अमरीका में पहला टैरिफ प्लान कोर्ट से खारिज होने के बाद प्लान 'बी' की तैयारी शुरू

30-May-2025 08:39 PM

वाशिंगटन। अमरीका की एक अदालत ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सीमा शुल्क सम्बन्धी पहली योजना को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस तरह का निर्णय अकेले राष्ट्रपति को लेने का अधिकार नहीं है बल्कि उससे पूर्व संसद की स्वीकृति दी जानी चाहिए थी।

इस विषम परिस्थिति को देखते हुए ट्रम्प प्रशासन ने एक तरफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का निर्णय लिया है तो दूसरी ओर प्लान 'बी' लागू करने का भी निश्चय किया है।

प्लान 'बी' के तहत 150 दिनों (पांच माह) के लिए 15 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाने का प्रावधान है।  1974 के व्यापार अधिनियम के अंतर्गत पांच महीनों के लिए अस्थायी तौर पर 15 प्रतिशत का सीमा शुल्क लगाया जा सकता है और इसके बाद ज्यादा लक्ष्यांकित रूप से शुल्क आरोपित किया जा सकता है।

इसके लिए एक अलग क्लॉज है जिसका उद्देश्य अनुचित एवं असमान व्यापार विधि पर नियंत्रण लगाना है। उल्लेखनीय है कि अमरीका की एक संघीय अदालत ने मौजूदा सीमा शुल्क को बरकरार रखने के लिए कहा है।

ध्यान देने की बात है कि ट्रम्प प्रशासन ने पहले विभिन्न देशों के लिए सीमा शुल्क की अलग-अलग दरें निर्धारित की थी लेकिन इसे तीन माह के लिए स्थगित कर दिया था।

इसका मतलब यह हुआ कि वर्तमान समय में अमरीका में वही शुल्क दर लागू है जो डोनाल्ड ट्रम्प को राष्ट्रपति पद संभालने से पहले प्रचलित थी। 

लोअर कोर्ट के निर्णय को अपर कोर्ट में चुनौती दी गई है लेकिन चूंकि कानूनी प्रक्रिया लम्बी चलने की संभावना है जबकि जुलाई में मोहलत की अवधि खत्म हो रही है इसलिए नीतिगत निर्णय के लिए कानूनी आधार अनिश्चित हो गया है।

इसे ध्यान में रखते हुए ट्रम्प प्रशासन के अधिकारी शुल्क छूट की समय सीमा समाप्त होने से पूर्व ही वैकल्पिक शुल्क लगाने की तैयारी में जुट गए हैं। राष्ट्रपति के व्यापारिक एजेंडे को सुरक्षित करने का हर संभव किया जा रहा है।

प्लान बी को दो चरणों में लागू किया जा सकता है। पहले चरण 15 प्रतिशत की टैरिफ का है जिसका उपयोग अमरीका में इससे पहले कभी नहीं हुआ।

तात्कालिक व्यापार असंतुलन को दूर करने के लिए इसे लागू किया जा सकता है जो सभी देशों पर समान रूप से प्रभावी हो सकता है। दूसरे चरण में खास-खास देशों पर ऊंचे स्तर का सीमा शुल्क लगाया जा सकता है।