फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने सरकार से गेहूँ बफ़र स्टॉक बढ़ाने व जीएसटी राहत की मांग की

24-Sep-2025 08:47 PM

फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ने सरकार से गेहूँ बफ़र स्टॉक बढ़ाने व जीएसटी राहत की मांग की

फ्लोर मिलर्स ने सरकार से 140% अधिक गेहूँ बफ़र स्टॉक रखने की मांग की

रोलर फ्लोर मिलर्स फेडरेशन ऑफ इंडिया ने कहा कि 75 लाख टन के बजाय 180 लाख टन गेहूँ सीज़न की शुरुआत में ही बफ़र में रखा जाए, ताकि बाजार में स्थिरता बनी रहे और कीमतें न उछलें।

नवनीत चितलांगिया, अध्यक्ष ने सरकार से मान की कि
भारत को हर साल लगभग 184 लाख टन गेहूँ की ज़रूरत होती है। इसलिए सरकार को शुरू में ही एक साल की ज़रूरत जितना स्टॉक बनाना चाहिए।

बाढ़ से खेतों में सिल्ट भर जाने के कारण कम-से-कम पांच जिलों में गेहूँ की बुवाई देर से होने की आशंका।

DDGS की बढ़ती मात्रा पर पशु स्वास्थ्य व दूध की गुणवत्ता को लेकर वैज्ञानिक अध्ययन की मांग।

आटा, मैदा और सूजी के निर्यात पर लगी पाबंदियों को चरणबद्ध रूप से हटाया जाए।

कम-से-कम 10 लाख टन आटे का मुक्त निर्यात की अनुमति मिले ताकि किसानों को बेहतर दाम और उद्योग को वैश्विक बाज़ार मिले।

25 किलो तक के घरेलू पैक (आटा, मैदा, सूजी) पर 5% जीएसटी को शून्य किया जाए।

मिलिंग मशीनरी व गेहूँ भंडारण साइलो पर जीएसटी 18% से घटाकर 5% किया जाए।

राज्य कृषि मंडी बोर्ड का सेस जीएसटी में समाहित किया जाए।

केंद्रीय खाद्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने रोलर फ्लोर मिलर्स को संबोधित करते हुए कहा कि केंद्र सरकार FY26 में गेहूँ उत्पादों के निर्यात की अनुमति पर तब तक कोई वादा नहीं कर सकती, जब तक उसे अंतिम उत्पादन आंकड़ों की स्पष्टता न हो और यह सुनिश्चित न हो जाए कि देश की खाद्य सुरक्षा आवश्यकताएँ पूरी हों।

जोशी मिलर्स की उस मांग का जवाब दे रहे थे, जिसमें उन्होंने सरकार से गेहूँ उत्पादों के निर्यात की अनुमति देने को कहा था। कुछ महीने पहले ही केंद्र ने ब्रान (चोकर) के निर्यात की इजाज़त दी थी।

भारत ने कुछ साल पहले घरेलू कीमतों को नियंत्रित करने के लिए मैदा और सूजी जैसे गेहूँ उत्पादों के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था।
गेहूँ के निर्यात की भी वर्तमान में अनुमति नहीं है।