बेहतर आयात के बावजूद कमजोर घरेलू उत्पादन के कारण उड़द में तेजी कायम रहने के आसार
20-Nov-2023 05:35 PM

मुम्बई । हालांकि म्यांमार से अच्छी मात्रा में उड़द का आयात हो रहा है लेकिन घरेलू प्रभाग में खरीफ सीजन के दौरान उत्पादन में काफी गिरावट आने के संकेत का इसकी कीमतों पर गहरा मनोवैज्ञानिक असर पड़ रहा है और इसलिए इसके दाम में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार है।
म्यांमार के निर्यातक भारत में फसल तथा कीमत की स्थिति के आधार पर उड़द का निर्यात ऑफर मूल्य घटाते-बढ़ाते रहते हैं। चूंकि भारत में उड़द का लगभग सम्पूर्ण आयात म्यांमार से ही होता है और दूसरा कोई महत्वपूर्ण वैकल्पिक स्रोत उपलब्ध नहीं है इसलिए भारतीय बाजार काफी हद तक म्यांमार के रुख पर निर्भर रहता है।
केन्द्रीय कृषि मंत्रालय ने पिछले साल के मुकाबले चालू खरीफ सीजन के दौरान उड़द के घरेलू उत्पादन में करीब 20 लाख टन की गिरावट आने का अनुमान लगाया है लेकिन मध्य प्रदेश सहित अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में प्रतिकूल मौसम से फसल को हुए भारी नुकसान को देखते हुए उद्योग-व्यापार समीक्षकों का मानना है कि उड़द का वास्तविक उत्पादन सरकारी अनुमान से कम होगा।
घरेलू थोक मंडियों में इसकी पर्याप्त आपूर्ति नहीं हो रही है इसलिए कीमतों में नरमी का रुख नहीं बन रहा है। आगे भी बाजार ऊंचा एवं तेज रहने की उम्मीद है। मालूम हो कि उड़द का उत्पादन खरीफ के साथ-साथ रबी सीजन में भी होता है।
उपभोक्ता मामले विभाग के आंकड़ों से पता चलता है कि 19 नवम्बर 2023 को उड़द दाल का औसत थोक बाजार भाव बढ़कर 11245.13 रुपए प्रति क्विंटल पर पहुंच गया जो 19 अक्टूबर 2023 को प्रचलित मूल्य 10778.96 रुपए प्रति क्विंटल से 4.32 प्रतिशत एवं 19 नवम्बर 2022 को प्रचलित औसत भाव 9796.44 रुपए प्रति क्विंटल से 14.79 प्रतिशत ज्यादा है।
इसी तरह उड़द दाल का औसत खुदरा बाजार भाव 19 नवम्बर को बढ़कर 123.37 रुपए प्रति किलो हो गया जो 19 अक्टूबर 2023 के भाव 119.07 रुपए प्रति किलो से 3.61 प्रतिशत तथा 19 नवम्बर 2022 के औसत दाम 108.65 रुपए प्रति किलो से 13.55 प्रतिशत अधिक है। तमाम सरकारी प्रयासों के बावजूद उड़द की कीमतों में नरमी नहीं आना स्टॉक की कमी दर्शाता है।