आंध्र- तेलंगाना में कपास की फसल पर बॉल रोट कीट का घातक प्रकोप

26-Aug-2025 01:59 PM

विजयवाड़ा। दक्षिण भारत के दो अग्रणी रूई उत्पादक राज्य- तेलंगाना तथा आंध्र प्रदेश में कपास की फसल पर बॉल रोट कीट का घातक प्रकोप देखा जा रहा है। यह एक कॉम्प्लैक्स रोग है जो फंगल तथा बैक्टीरिया के पैथोजेन के एक समूह द्वारा फैलाया जाता है। चालू वर्ष के दौरान इन दोनों राज्यों में बेमौसमी तथा अत्यधिक बारिश होने से इस रोग को पनपने एवं फैलने में आसानी हो रही है।

इस रोग के घातक प्रकोप से कपास की औसत उपज दर, कुल पैदावार एवं क्वालिटी पर प्रतिकूल असर पड़ने की संभावना है। जोधपुर स्थित संस्था- साउथ एशिया बायो टेक्नोलॉजी सेंटर द्वारा बनवासी के कृषि विज्ञान केन्द्र के सहयोग से किए गए एक सर्वेक्षण में इस बात की पुष्टि की गई है कि बाहरी तथा आंतरिक- दोनों किस्मों के कॉटन रोट रोग का प्रकोप फैल रहा है। कुर्नूल एवं रॉयल सीमा संभाग के अन्य इलाकों में इसका संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। 

भारत के मध्य दक्षिणी भाग में बॉल रोट लम्बे समय से आर्थिक दृष्टि से कपास की फसल को सर्वाधिक नुकसान पहुंचाने वाला माना जाता रहा है और खासकर आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और उससे सटे अन्य क्षेत्रों में इसका घातक प्रकोप रहता है।

यदि परिस्थितियां अनुकूल रहती हैं तो यह रोग कपास की फसल के लिए अत्यन्त विनाशकारी साबित होता है। पिछले एक दशक में पहली बार वहां यह रोग 20 प्रतिशत के आर्थिक आधार क्षति की सीमा को पार कर गया है। कुर्नूल जिले में इसका सबसे गहरा असर देखा जा रहा है। 

आंध्र प्रदेश में चालू खरीफ सीजन के दौरान कपास का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 3.39 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। इस बार फसल की बिजाई सही समय पर हो गई और शुरूआती दौर में इसकी हालत भी अच्छी रही लेकिन अब कीड़ों-रोगों के प्रकोप से उसे काफी नुकसान होने की आशंका है। कपास की उपज दर में 15-20 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।