वर्षा की कमी से कर्नाटक में खरीफ फसलों की बिजाई पिछड़ी

21-Jul-2025 07:25 PM

बंगलोर। दक्षिण भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- कर्नाटक के कुछ भागों में मानसून की वर्षा का अभाव रहने से खरीफ फसलों की बिजाई की गति धीमी पड़ गई है और इसका क्षेत्रफल गत वर्ष से 57 हजार हेक्टेयर पीछे हो गया है।

राज्य कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार इस बार 18 जुलाई तक कर्नाटक में खरीफ फसलों का कुल उत्पादन क्षेत्र 57.81 लाख हेक्टेयर पर अटक गया जबकि गत वर्ष 58.38 लाख हेक्टेयर रहा था। 

कृषि विभाग के मुताबिक पिछले साल की तुलना में चालू खरीफ सीजन के दौरान कर्नाटक में धान सहित अनाजी फसलों का कुल क्षेत्रफल 18.51 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 19.15 लाख हेक्टेयर पर पहुंचा मगर दलहनों का बिजाई क्षेत्र 20.40 लाख हेक्टेयर से घटकर 18 लाख हेक्टेयर तथा तिलहनों का क्षेत्रफल 6.72 लाख हेक्टेयर से गिरकर 6.10 लाख हेक्टेयर रह गया। 

नकदी या औद्योगिक फसलों में कपास का उत्पादन क्षेत्र 6.13 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 7.13 लाख हेक्टेयर तथा गन्ना का क्षेत्रफल 5.86 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 6.63 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया। कर्नाटक देश में गन्ना एवं चीनी का तीसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। 

दलहन फसलों के संवर्ग में अरहर या तुवर का उत्पादन क्षेत्र पहले गत वर्ष से कुछ आगे निकल गया था लेकिन अब 14.70 लाख हेक्टेयर से घटकर 12.22 लाख हेक्टेयर पर आ गया है। उड़द का रकबा 89 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 94 हजार हेक्टेयर पर पहुंचा मगर मूंग का क्षेत्रफल 4.11 लाख हेक्टेयर पर स्थिर रहा। 

तिलहन फसलों में सोयाबीन का उत्पादन क्षेत्र 4.29 लाख हेक्टेयर से गिरकर 4.09 लाख हेक्टेयर तथा मूंगफली का बिजाई क्षेत्र 1.78 लाख हेक्टेयर से घटकर 1.34 लाख हेक्टेयर रह गया। दूसरी ओर वहां तिल का रकबा 13 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 14 हजार हेक्टेयर तथा सूरजमुखी का क्षेत्रफल 48 हजार हेक्टेयर से सुधरकर 50 हजार हेक्टेयर पर पहुंच गया। 

कर्नाटक के कुछ भागों में अब बारिश होने लगी है जिससे न केवल खरीफ फसलों की बिजाई की गति बढ़ने की संभावना है बल्कि पहले बोई गई फसलों की हालत में भी सुधार आने की उम्मीद है। कर्नाटक में तुवर, मूंग, मक्का एवं गन्ना का उत्पादन बड़े पैमाने पर होता है।