साप्ताहिक समीक्षा-जीरा
25-Jan-2025 07:27 PM

जीरा कीमतों में गिरावट : तेजी की संभावना नहीं
नई दिल्ली । विगत कुछ समय से जीरा की कीमतों में गिरावट का दौर बना हुआ है। हालांकि व्यापारिक धारणा थी कि जनवरी माह के अंत में रमजान की लिवाली आने पर कीमतों में सुधार बन सकता है लेकिन अभी तक निर्यातकों की लिवाली आशानुरूप न बढ़ने के कारण कीमतें दबी हुई हैं। सूत्रों का मानना है कि फरवरी माह के शुरू में निर्यातकों की लिवाली आने पर कीमतों में सुधार संभव है लेकिन अधिक तेजी की संभावना नहीं है। क्योंकि उत्पादक केन्द्रों पर जीरा बिजाई के संकेत अच्छे मिल रहे हैं। गुजरात में भी जीरा की बिजाई पूर्व में पिछड़ने के पश्चात वर्तमान में सुधर गई है। चालू सप्ताह के शुरू में गुजरात कृषि विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 20 जनवरी - 2025 तक राज्य में जीरा की बिजाई 1.63 लाख हेक्टेयर पर की गई है जबकि गत वर्ष इसी समयावधि में बिजाई का क्षेत्रफल 1.36 लाख हेक्टेयर का रहा था। राजस्थान में भी जीरा बिजाई अच्छी होने के समाचार है। हालांकि इस वर्ष उत्पादक केन्द्रों पर देर तक तापमान अधिक रहने के कारण बिजाई में 15/20 दिनों का विलम्ब हुआ है। मगर बिजाई के पश्चात अभी तक मौसम फसल के अनुकूल बना हुआ है। अगर आगामी दिनों में भी मौसम फसल के अनुकूल रहता है तो आने वाली फसल अच्छी आने के समाचार है। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2023 के दौरान प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात एवं राजस्थान में जीरे की बिजाई 7.73 लाख हेक्टेयर पर की गई थी जोकि वर्ष 2024 में बढ़कर 12.64 लाख हेक्टेयर के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई थी चालू सीजन के लिए बिजाई अच्छी है लेकिन बिजाई का क्षेत्रफल गत वर्ष की तुलना में कम रहेगा।
आवक में देरी
आमतौर पर प्रमुख उत्पादक राज्य गुजरात की मंडियों में जनवरी माह के दौरान नए जीरे की आवक अच्छी मात्रा में शुरू हो जाती थी लेकिन इस वर्ष अभी तक मंडियों में 10/20 बोरी नए जीरे का श्री गणेश हुआ है। आवक का दबाव अब फरवरी माह में बनेगा। राजस्थान में आवक मार्च-अप्रैल माह में बनेगी।
उत्पादन अनुमान
जानकार सूत्रों का कहना है कि वर्ष 2025 में जीरे का उत्पादन वर्ष 2024 की तुलना में कम रहेगा। लेकिन बकाया स्टॉक पर्याप्त होने के करने कुल उपलब्धता अच्छी रहेगी। एक अनुमान के अनुसार अगर मौसम ने फसल का साथ दिया तो 2025 में जीरे की पैदावार 80/90 लाख बोरी के आसपास रहने की संभावना है। जबकि वर्ष 2024 में उत्पादन 1/1.10 करोड़ बोरी के अनुमान लगाए गए थे। वर्ष 2023 में उत्पादन 55/60 लाख बोरी का रहा था। और कीमतों ने नया रिकॉर्ड भाव बनाया था। जिस कारण से वर्ष 2024 में देश में जीरे का रिकॉर्ड उत्पादन हुआ।
मंदा-तेजी
व्यापारियों का कहना है कि फरवरी माह में अगर निर्यातक मांग बढ़ती है तो कीमतों में 5/10 रुपए प्रति किलो की तेजी संभव है अन्यथा भावों में हाल-फिलहाल तेजी की कोई संभावना नहीं है। प्राप्त जानकारी के अनुसार चालू माह के शुरू में जीरा निर्यात का भाव 4825 रुपए प्रति 20 किलो का चल रहा था जोकि वर्तमान में घटकर 4545/4550 रुपए पर आ गया है। कीमतों में अधिक मंदा-तेजी जून-जुलाई में टर्की, सीरिया की फसल पर निर्भर करेगा। अगर विदेशों में भी जीरे की पैदावार अच्छी रहती है तो कीमतों में अधिक तेजी संभव नहीं है। अगर विदेशों में पैदावार कम रहती है तो कीमतों में तेजी संभव है। हाजिर में कमजोर मांग एवं निर्यातकों की लिवाली भी कमजोर बनी रहने के कारण चालू सप्ताह के दौरान हाजिर बाजारों में जीरे के भाव 3/5 रुपए प्रति किलो मंदे के साथ बोले गए वायदा में मार्च माह का जीरा सप्ताह के अंत में 22035 रुपए पर बंद हुआ है। जबकि सप्ताह के शुरू में भाव 22230 रुपए खुले थे।
निर्यात अधिक
चालू सीजन के दौरान जीरे के दाम नीचे रहने के कारण जीरा निर्यात में शानदार वृद्धि दर्ज की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर - 2024 के दौरान जीरा निर्यात 146558 टन का रहा जबकि गत वर्ष अप्रैल-अक्टूबर - 2023 में निर्यात 84475 टन का रहा था। नवम्बर एवं दिसम्बर माह में भी जीरा का निर्यात गत वर्ष की तुलना में अधिक रहा। नवम्बर - 2023 में जीरा का निर्यात 9712 टन का रहा था जोकि नवम्बर 2024 में बढ़कर 17455 टन का हो गया। दिसम्बर - 2024 में जीरा का निर्यात 20278 टन का हुआ। जबकि दिसम्बर-2023 में निर्यात 13725 टन का रहा था।