रबी सीजन से अच्छी उम्मीद

15-Nov-2025 10:52 AM

दक्षिण-पश्चिम मानसून की लेट वर्षा से बेशक खरीफ फसलों को नुकसान हुआ मगर साथ ही साथ रबी फसलों के लिए मजबूत आधार भी तैयार हो गया। कुछ अन्य कारक भी रबी फसलों की खेती के लिए अनुकूल हैं जिसमें केन्द्र सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में की गई अच्छी बढ़ोत्तरी तथा बांधों-जलाशयों में पानी की पर्याप्त उपलब्धता भी शामिल है।

हालांकि कुछ जिंसों का बाजार भाव नरम चल रहा लेकिन इससे किसानों के उत्साह पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा। केन्द्र सरकार गेहूं, चना, मसूर एवं सरसों की खरीद एमएसपी पर करने के लिए तैयार रहती है जबकि जौ का खुला बाजार भाव अक्सर एमएसपी से ऊंचा रहता है।

इस वर्ष सरसों का दाम मई के बाद तेजी से बढ़ना शुरू हुआ और अब भी एमएसपी से काफी ऊंचा चल रहा है जिससे किसानों को नियमित रूप से आकर्षक आमदनी प्राप्त होती रही और इसलिए इस सर्वाधिक महत्वपूर्ण तिलहन की खेती में उसका उत्साह बहुत ज्यादा देखा जा रहा है।

जहां तक गेहूं का सवाल है तो भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) अपनी सहयोगी प्रांतीय एजेंसियों के सहयोग से केन्द्रीय मूल्य के लिए प्रति वर्ष न्यूनतम समर्थन मूल्य कर किसानों से इस महत्वपूर्ण खाद्यान्न की विशाल खरीद करता है इसलिए किसानों को अपनी फसल बेचने के लिए चिंता नहीं रहती है।

इस वर्ष चना तथा मसूर जैसे दलहनों की कीमतों से भी किसान काफी हद तक संतुष्ट रहे क्योंकि पिछले साल की तुलना में खासकर चना के आयात में भारी गिरावट देखी जा रही है। 

मौसम एवं जलवायु के साथ-साथ खेतों की मिटटी की हालत भी रबी फसलों की बिजाई के लिए सर्वथा अनुकूल बनी हुई है। उत्तरी भारत में वर्षा बंद हो चुकी है। मौसम साफ हो गए है, तापमान में गिरावट आ रही है और जाड़े का मौसम जल्दी शुरू हो गया। इसे रबी फसलों की बिजाई एवं प्रगति के लिए आदर्श स्थिति माना जा रहा है।

रबी फसलों की बिजाई-अक्टूबर में ही आरंभ हो चुकी है और दिसम्बर-जनवरी तक जारी रहेगी। उम्मीद की जा रही है कि पिछले सीजन के मुकाबले इस बार गेहूं, सरसों एवं चना के बिजाई क्षेत्र में अच्छी बढ़ोत्तरी होगी और इसका उत्पादन भी शानदार होगा।