ओएमएसएस वाले गेहूं की बिक्री की गति धीमी रहने की संभावना
15-Nov-2025 11:26 AM
नई दिल्ली। भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) द्वारा खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत अपने स्टॉक से मिलर्स- प्रोसेसर्स को गेहूं बेचने के लिए साप्ताहिक ई-नीलामी की प्रक्रिया आरंभ कर दी गई है
लेकिन इसमें खरीदारों की दिलचस्पी कम देखी जा रही है। 12 नवम्बर को आयोजित पहली नीलामी में 2 लाख टन गेहूं की बिक्री का ऑफर दिया गया था मगर इसमें से केवल करीब 73 हजार टन या 36 प्रतिशत की बिक्री ही संभव हो सकी।
मिलर्स का कहना है कि सरकारी गेहूं का दाम ज्यादा आकर्षक नहीं है। इसका न्यूनतम या आधारभूत आरक्षित मूल्य (रिजर्व प्राइस) 2550 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है जबकि परिवहन खर्च इससे अलग है।
खुले बाजार में भी गेहूं लगभग इसी मूल्य स्तर पर उपलब्ध है और थोक मंडियों में आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति सुगम बनी हुई है। एक फ्लोर मिलर का कहना है कि सरकारी गेहूं का दाम खुले बाजार भाव की तुलना में कम से कम 3 से 5 प्रतिशत तक नीचे होना चाहिए तभी खरीदार इसमें दिलचस्पी दिखा सकते हैं।
खरीदारों को अग्रिम भुगतान, परिवहन खर्च, दस्तावेज और अन्य खर्चों का भार उठाना पड़ता है जबकि खुले बाजार से गेहूं की खरीद में ज्यादा जटिलता नहीं होती है। जब तक मिलर्स-प्रोसेसर्स को सरकारी गेहूं की खरीद पर कुछ बचत नहीं होगी तब तक उसकी दिलचस्पी बढ़ने में संदेह है।
पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली तथा जम्मू कश्मीर के मिलर्स फिलहाल सरकारी गेहूं की खरीद में रूचि दिखा रहे हैं। पंजाब- हरियाणा में सरकारी गेहूं पर परिवहन खर्च नहीं लगता है जबकि अन्य तीन प्रान्त उससे काफी नजदीक हैं। लेकिन दूरस्थ राज्यों के मिलर्स के साथ समस्या है। सरकार को या तो आरक्षित मूल्य घटाना होगा या फिर परिवहन खर्च को इसमें शामिल करना होगा।
