प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुए नुकसान के कारण तुवर का उत्पादन कम होने की संभावना

31-Oct-2025 11:50 AM

नई दिल्ली। भारत दुनिया में अरहर (तुवर) का सबसे प्रमुख उत्पादक, उपभोक्ता एवं आयातक देश बना हुआ है। खरीफ सीजन के इस सबसे महत्वपूर्ण दलहन का उत्पादन महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तर प्रदेश, झारखंड, तेलंगाना एवं आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में होता है। इसके अलावा कुछ अन्य राज्यों में भी इसकी सीमित पैदावार होती है। 

केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के आंकड़ों से पता चलता है कि तुवर का बिजाई क्षेत्र वर्ष 2024 के 46.45 लाख हेक्टेयर से सुधरकर 2025 के खरीफ सीजन में 46.60 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया।

लेकिन प्रमुख उत्पादक राज्यों और खासकर महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदाओं से फसल को हुई भारी क्षति के कारण इसके उत्पादन में गिरावट आने की संभावना है।

महाराष्ट्र में तुवर की बिजाई कुछ बढ़ी है मगर अत्यधिक बारिश, भयंकर बाढ़ एवं लम्बे समय तक खेतों में पानी का जमाव होने से विशाल भूभाग में फसल क्षतिग्रस्त हो गई। 

कृषि मंत्रालय के मुताबिक 2024-25 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान राष्ट्रीय स्तर पर 35.61 लाख टन तुवर का उत्पादन हुआ जिसमें महाराष्ट्र का योगदान सबसे अधिक 13.25 लाख टन का रहा। लेकिन 2025-26 के मार्केटिंग सीजन में उत्पादन घटने की आशंका है।

फिलहाल उत्पादन में गिरावट का निश्चित अनुमान लगाना कठिन है लेकिन मोटे तौर पर वहां बाढ़-वर्षा से करीब 40 प्रतिशत फसल के क्षतिग्रस्त होने की संभावना व्यक्त की जा रही है। कर्नाटक एवं अन्य दक्षिणी राज्यों के साथ-साथ मध्य प्रदेश तथा गुजरात के कुछ क्षेत्रों में भी तुवर की फसल प्रभावित हुई है। 

हालांकि घरेलू उत्पादन में गिरावट आने से तुवर की आपूर्ति एवं उपलब्धता घटने की संभावना है जिससे आमतौर पर कीमतों में तेजी-मजबूती रहनी चाहिए लेकिन विदेशों से सस्ते माल का भारी आयात होने से बाजार पर कुछ दबाव रह सकता है।

भारत में म्यांमार एवं अफ्रीकी देशों- खासकर तंजानिया, मोजाम्बिक, मलावी, सूडान एवं केन्या आदि से तुवर का भारी आयात किया जाता है।

तंजानिया में इस वर्ष 4 लाख टन से अधिक तुवर का शानदार उत्पादन हुआ है और वह इसका अधिक से अधिक भाग भारत को निर्यात करने का जोरदार प्रयास कर रहा है। सूडान में भयंकर गृह युद्ध छिड़ गया है।