पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात जारी रहने पर संदेह

22-Feb-2025 04:45 PM

नई दिल्ली। कुछ दिन पूर्व केन्द्रीय खाद्य मंत्री ने कहा था कि फरवरी के बाद पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात रोका जा सकता है।

उधर वित्त मंत्री ने अपने बजट भाषण में दलहनों में आत्मनिर्भरता के लिए छह वर्षीय मिशन शुरू करने की घोषणा की थी

जिसके तहत खासकर अरहर (तुवर), उड़द एवं मसूर का उत्पादन बढ़ाने पर विशेष जोर दिया जाएगा। वर्ष 2024 में नवम्बर तक भारत में दलहनों का आयात खर्च बढ़कर 3.28 अरब डॉलर पर पहुंच गया जो गत वर्ष से 56.6 प्रतिशत अधिक रहा।

वित्त वर्ष 2024-25 की सम्पूर्ण अवधि के दौरान दलहनों का आयात खर्च उछलकर 5 अरब डॉलर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच जाने का अनुमान है। 

पिछले साल महाराष्ट्र एवं कर्नाटक जैसे राज्यों में मौसम की प्रतिकूल स्थिति के कारण दलहनों का घरेलू उत्पादन कमजोर रहा और इसमें महंगाई दर दो अंकों में बरकरार रही।

जनवरी 2025 में यह घटकर मात्र 2.6 प्रतिशत रह गई इसलिए केन्द्र सरकार संभवतः यह मान रही है कि चालू वर्ष के दौरान दलहनों के विशाल आयात की आवश्यकता नहीं पड़ेगी और इसलिए पीली मटर का शुल्क मुक्त आयात रोका जा सकता है। रबी कालीन दलहन फसलों- चना, मसूर एवं मटर की आवक जल्दी ही रफ्तार पकड़ने वाली है। 

दिलचस्प तथ्य यह है कि वर्ष 2018-19 से 2022-23 के बीच देश में दलहनों का अच्छा उत्पादन हुआ था और इसलिए चना, पीली मटर तथा मूंग सहित अन्य दलहनों की आपूर्ति की स्थिति काफी हद तक सुगम बनी रही थी।

सरकार ने मूंग के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था जबकि मटर एवं देसी चना के आयात पर भारी-भरकम सीमा शुल्क लागू रहा।

लेकिन उसके बाद स्थिति बिगड़ गई  जिससे सरकार को दिसम्बर 2023 में पीली मटर तथा मई 2024 में देसी चना के शुल्क मुक्त आयात की अनुमति देनी पड़ी।

शीर्ष स्तर की तुलना में सभी दलहनों का भाव घटकर नीचे आया है जिससे सरकार को आयात नीति में बदलाव करने में कठिनाई नहीं होगी। 28 फरवरी को पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि समाप्त हो रही है।