पंजाब में धान की खेती का समय आगे लाने के प्रति विशेषज्ञों की चेतावनी
18-Apr-2025 08:10 PM

चंडीगढ़। केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न (चावल और गेहूं) का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में पानी के अभाव का संकट लगातार गहराता जा रहा है लेकिन फिर भी वहां किसान धान की खेती के प्रति जबरदस्त उत्साह दिखा रहे हैं।
कृषि विशेषज्ञों के मुताबिक पंजाब में पिछले 40 वर्षों से अधिक समय से बड़े पैमाने पर धान की खेती हो रही है जिसे सिंचाई के लिए पानी की सर्वाधिक जरूरत पड़ती है।
वर्षा कम होने से बांधों- जलाशयों में पानी का सीमित स्टॉक रहता है इसलिए धान की खेती से भूजल तथा भूमिगत जल का उपयोग बहुत ज्यादा होता है जिससे जल स्तर में लगातार गिरावट आती जा रही है। आगामी समय में पंजाब के किसानों को पानी के घोर अभाव का संकट झेलना पड़ सकता है।
हैरानी की बात है कि पंजाब सरकार को वास्तविकता की पूरी जानकारी है लेकिन फिर भी उसने धान की खेती करीब 20 दिन पहले ही आरंभ करने की अनुमति प्रदान कर दी।
हाल की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजाब के लगभग सभी जिलों में पानी का स्तर काफी घट गया है। ऐसी हालत में सरकार को राज्य में धान की खेती को हतोत्साहित एवं कम पानी की जरूरत वाली वैकल्पिक फसलों की खेती को प्रोत्साहित करना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है।
रिपोर्ट से ज्ञात होता है कि पंजाब में वर्ष 2015 से 2024 के दौरान 81.05 प्रतिशत क्षेत्र में जल स्तर में गिरावट आई है। यह गिरावट 2 से 4 मीटर तक दर्ज की गई।
पंजाब में जमीन के अंदर पानी काफी गहराई में पहुंच गया है और उसकी नियमित निकासी से सतह कमजोर होने लगी है। यह भविष्य में कृषि क्षेत्र के लिए घातक साबित हो सकता है।
कृषि वैज्ञानिकों के एक ग्रुप ने पंजाब के मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर धान की खेती के समय को आगे लाने के निर्णय पर दोबारा विचार करने का आग्रह किया है।
इस ग्रुप का कहना है कि राज्य में पानी का स्तर प्रति वर्ष 2 फीट घटता जा रहा है जिसे रोकना बहुत जरुरी है। मानसूनी वर्षा शुरू होने के बाद ही धान की खेती आरंभ की जानी चाहिए।