पंजाब में बासमती धान के लिए 11 कीटनाशकों के उपयोग पर लगे प्रतिबंध पर हाईकोर्ट का स्टे

08-Aug-2025 01:12 PM

चंडीगढ़। हालांकि अंतर्राष्ट्रीय मानकों पर बासमती चावल की गुणवत्ता को खरा उतारने के उद्देश्य से पंजाब सरकार ने बासमती धान की खेती में 11 कीटनाशकों का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया था मगर इसके खिलाफ कीटनाशी रसायनों (पेस्टीसाइड) की निर्माता कंपनियों के संगठन ने पंजाब एवं हरियाणा उच्च-न्यायालय में यचिका दाखिल कर दी।

इस पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने सरकारी आदेश पर स्थगन आदेश (स्टे ऑर्डर) जारी कर दिया है। ध्यान देने वाली बात है कि पंजाब सरकार ने बासमती चावल के लिए खतरनाक समझे जाने वाले कीटनाशकों के उपयोग पर जून 2025 में रोक लगा दी थी। 

पंजाब के कृषि विभाग द्वारा कीटनाशकों के प्रयोग पर लगाया गया प्रतिबंध 1 अगस्त से लागू होकर अगले 60 दिनों (दो महीनों) तक प्रभावी रहना था। इसी अवधि के दौरान राज्य में बासमती धान की फसल के लिए इन रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है।

इन रसायनों का अवशेष बासमती चावल में मौजूद रहता है और इसके फलस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उसका निर्यात करने में भारी कठिनाई होती है।

उच्च न्यायालय के स्थगन आदेश से पंजाब के बासमती चावल निर्यातक नाखुश हैं। वे कोर्ट के     आदेश पर तो कोई टिप्पणी नहीं कर रहे हैं मगर पंजाब सरकार के खिलाफ नाराजगी जरूर व्यक्त कर रहे हैं।

निर्यातकों का कहना है कि कीटनाशकों के इस्तेमाल पर लगाया गया प्रतिबंध पंजाब सरकार का सही फैसला था लेकिन वह न्यायालय में अपना पक्ष जोरदार ढंग से रखने में सफल नहीं हो सकी। 

बासमती एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन अब न्यायालय के इस स्थगन आदेश के खिलाफ कोर्ट में याचिका दाखिल करने का प्लान बना रहे हैं ताकि पंजाब सरकार का प्रतिबंध का आदेश वैध रह सके।

दरअसल अमरीका, यूरोप एवं पश्चिम एशिया तथा खाड़ी क्षेत्र के अधिकांश प्रमुख आयातक देश बासमती चावल में कीटनाशकों के ऊंचे अवशेष की अक्सर शिकायत करते रहे हैं। यूरोपीय संघ में तो इसके लिए कठोर नियम भी लागू किये गए हैं।

एपीडा ने पंजाब सरकार को इस दिशा में कदम उठाने का सुझाव दिया था क्योंकि इन कीटनाशी रसायनों की वजह से बासमती चावल का निर्यात प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई थी। चावल निर्यातक संघ एवं पंजाब कृषि विश्वविद्यालय लुधियाना ने भी इस तरह एक सुझाव दिया था।