खाद्य तेलों के लिए मानक मैकेजिंग नियम दोबारा लागू करने का आग्रह

25-Jun-2025 03:55 PM

मुम्बई। स्वदेशी खाद्य तेल उद्योग एवं व्यापार क्षेत्र के एक अग्रणी संगठन- सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी) ने सरकार से आम उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए खाद्य तेलों के वास्ते मानक (स्टैण्डर्ड) मैकेजिंग नियम को दोबारा प्रभावी बनाने का आग्रह किया है।

एसोसिएशन के अनुसार लीगल मैट्रोलॉजी (पैकेज्ड कॉमोडिटीज) रूल्स, 2011 में पहले अनुसूची 2 भी शामिल थी जिसमें कुछ खास उत्पादों की पैकिंग के लिए लिए वजन, माप एवं संस्था की मानक मात्रा निर्धारित की गई थी लेकिन वर्ष 2022 में किए गए संशोधन के बाद इसमें से अनुसूची 2 को हटा दिया गया।

इसके फलस्वरूप खाद्य तेलों के पैकर्स को अपनी मर्जी से पैकिंग का स्तर निर्धारित करने की स्वतंत्रता मिल गई और इसका दाम भी अलग-अलग नियत किया जाने लगा।

इसके चलते उपभोक्ता में भ्रम की स्थिति पैदा होने लगी। बाजार में खाद्य तेलों की 800 ग्राम, 810 ग्राम एवं 870 ग्राम जैसी पैकिंग की भरमार हो गई। इससे उपभोक्ता असमंजस में फंस गए हैं और कीमतों में तुलना का ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो गया है।

ये पैक साइज ऊपर से देखने में समान लगते हैं और इसके लेवल पर कोई विशेष जानकारी भी नहीं होती है जबकि इसमें खाद्य तेल की मात्रा मानक स्तर से कम होती है।

दरअसल आमतौर पर खाद्य तेलों की बिक्री उच्चतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) से कम दाम पर की जाती है इसलिए खरीदारों को तुलना करने में कठिनाई होती है। 

एसोसिएशन के मुताबिक उपरोक्त कारणों से बाजार में असमान प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है और खाद्य तेल के विक्रेता अनुचित कारोबार की प्रक्रिया अपनाकर ग्राहकों को नुकसान पहुंचाते हैं। यह स्थिति उद्योग एवं उपभोक्ताओं के लिए सही नहीं है।

यदि अनुसूची 2 को दोबारा प्रभावी बना दिया जाए तो यह समस्या स्वतः दूर हो जाएगी क्योंकि तब पैकर्स को मानक मात्रा में ही खाद्य तेलों की पैकिंग करने के लिए बाध्य होना पड़ेगा और सभी पैकिंग मात्रा के हिसाब से समान हो जाएगी।

लेवल पर उसका पूरा विवरण अंकित करना होगा और उपभोक्ताओं को कीमतों की तुलना करके अपनी पसंद का खाद्य तेल खरीदने का अवसर मिल जाएगा। उद्योग को भी इससे राहत मिलेगी। सरकार को नियम में अनुसूची 2 को शामिल करने पर गम्भीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।