चीनी के निर्यात की गति सामान्य
15-Mar-2025 12:53 PM

नई दिल्ली। भारतीय मिलर्स द्वारा 2024-25 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) के दौरान लगभग 6 लाख टन चीनी के निर्यात का अनुबंध किया गया है और इसमें से करीब 2.50 लाख टन चीनी डिस्पैच भी की जा चुकी है।
वैसे अब घरेलू बाजार भाव ऊंचा एवं तेज होने से मिलर्स नया निर्यात अनुबंध करने से हिचकने लगे है लेकिन उद्योग समीक्षकों को उम्म्मीद है कि 30 सितम्बर 2025 को मार्केटिंग सीजन समाप्त होने से पूर्व कुल आवंटित चीनी के कोटे का निर्यात हो जाएगा।
उल्लेखनीय है कि जनवरी में केन्द्र सरकार ने स्वदेशी उद्योग को 2024-25 के मार्केटिंग सीजन में 10 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति प्रदान की थी और तभी से इसकी प्रक्रिया आरंभ हो गई। लेकिन अंतर्राष्ट्रीय बाजार भाव नरम रहने से निर्यातकों की समस्या बढ़ गई
क्योंकि मिलर्स उसे नीचे दाम पर चीनी बेचने के लिए तैयार नहीं थे। चीनी का वैश्विक बाजार भाव घटाकर पिछले करीब तीन वर्षों के निचले स्तर पर आ गया जबकि भारत में इसका दाम ऊंचे स्तर पर बरकरार है।
व्यापार विश्लेषकों के मुताबिक भारत में निम्न क्वालिटी की चीनी का दाम ब्राजील की अच्छी क्वालिटी वाली चीनी के लगभग बराबर चल रहा है इसलिए भारतीय चीनी की खरीद में विदेशी आयातकों की दिलचस्पी कम देखी जा रही है।
इतना ही नहीं बल्कि भारतीय सफेद चीनी का भाव लन्दन एक्सचेंज में प्रचलित वायदा मूल्य से करीब 20 डॉलर प्रति टन ऊंचा चल रहा है।
भारत से चीनी का निर्यात मुख्यतः अफगानिस्तान, बांग्ला देश, इंडोनेशिया, श्रीलंका एवं संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) जैसे देशों को हो रहा है।
ब्राजील की अच्छी क्वालिटी वाली चीनी का भाव आकर्षक स्तर पर होने से भारतीय निर्यातक उसकी प्रतिस्पर्धा का सामना करने में असमर्थ हो रहे हैं और इसलिए फिलहाल कुछ संकट का माहौल है।
ज्ञात हो कि दुनिया में चीनी के सबसे प्रमुख उत्पादक एवं निर्यातक देश- ब्राजील में अगले महीने से गन्ना की क्रशिंग का नया मार्केटिंग सीजन आरंभ होने वाला है।
इधर भारत में 2023-24 सीजन के मुकाबले 2024-25 के वर्तमान सीजन में चीनी के उत्पादन में 50 लाख टन से अधिक की गिरावट आने का अनुमान लगाया जा रहा है। इससे घरेलू प्रभाग में चीनी की मांग एवं आपूर्ति के बीच समीकरण में जटिलता बढ़ने की आशंका है।