चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर हो सकता है विचार

29-Oct-2025 01:29 PM

नई दिल्ली। चीनी उद्योग की शीर्ष संस्था- इंडियन शुगर एंड बायो एनर्जी मैन्युफैक्चर्स एसोसिएशन (इस्मा) ने उत्पादन एवं उपयोग तथा स्टॉक के आंकड़ों का हवाला देते हुए केन्द्र सरकार ने 2025-26 के वर्तमान मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में 20 लाख टन चीनी के निर्यात की अनुमति देने का आग्रह किया था

लेकिन उस समय सरकार की ओर से कहा गया था कि उत्पादन की स्थिति स्पष्ट होने के बाद इस मसले पर विचार किया जा सकता है। अब केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने 340 लाख टन चीनी के घरेलू उत्पादन का अनुमान लगाया है जिसमें एथनॉल उत्पादन के लिए डायवर्जन होने वाली चीनी का स्टॉक भी शामिल है। 

समझा जाता है कि एथनॉल निर्माण में इस बार चीनी का उपयोग उम्मीद से कम हो सकता है क्योंकि सरकार ने इसके बिक्री मूल्य में इजाफा नहीं किया है। इसके फलस्वरूप खाद्य उद्देश्य के लिए चीनी का स्टॉक बढ़ सकता है।

ऐसी हालत में सरकार उद्योग को वित्तीय रूप से मजबूत बनाने के लिए चीनी के निर्यात की अनुमति देने पर विचार कर सकती है। यह सही है कि चालू मार्केटिंग सीजन  के आरंभ में स्वदेशी उद्योग के पास चीनी का बकाया

अधिशेष स्टॉक  घटकर 50 लाख टन से नीचे आ गया और नवम्बर में घरेलू बिक्री के लिए 20 लाख टन चीनी का कोटा नियत किए जाने की सूचना मिल रही है लेकिन आगे यदि उत्पादन की स्थिति बेहतर रही तो स्टॉक बढ़ जाएगा। 

2024-25 के मार्केटिंग सीजन हेतु 10 लाख टन चीनी के निर्यात की स्वीकृति दी गई थी मगर इसका कुल वास्तविक शिपमेंट 7.75 लाख टन के करीब ही पहुंच सका। इस समय भी चीनी का वैश्विक बाजार भाव  नरम चल रहा है

जबकि घरेलू बाजार मूल्य ऊंचे स्तर पर है। इससे निर्यात में कठिनाई हो सकती है लेकिन यह भी सही है कि अनेक आयातक देश भारतीय चीनी की ओर देख रहे हैं।

2024-25 के मार्केटिंग सीजन में 20 जनवरी 2025 को चीनी के निर्यात की अनुमति देने की घोषणा की गई जबकि इसका सीजन 2024 में ही आरंभ हो गया था।

इसे देखते हुए उद्योग-व्यापार क्षेत्र का कहना है कि यदि 2025-26 के मार्केटिंग सीजन के लिए यदि चीनी के निर्यात की मंजूरी दी जाती है तो इसकी घोषणा जल्दी से जल्दी कर दी जाए ताकि मिलर्स को निर्यात के लिए अधिक समय मिल सके।

वैसे केन्द्र सरकार की प्राथमिकता घरेलू प्रभाग में चीनी की पर्याप्त आपूर्ति एवं उपलब्धता सुनिश्चित करना और एथनॉल उत्पादन को प्रोत्साहित करना है जबकि निर्यात की स्वीकृति का नंबर तीसरा है।

यदि एथनॉल उत्पादन में चीनी के उपयोग में कमी आने का संकेत मिलता है तो इसके निर्यात की अनुमति देने पर गम्भीरतापूर्वक विचार किया जा सकता है।