भारतीय चावल निर्यातकों की नजर नए उभरते बाजारों पर केन्द्रित
29-Oct-2025 08:30 PM
नई दिल्ली। खरीफ सीजन में धान का क्षेत्रफल 441 लाख हेक्टेयर के नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचने तथा दक्षिण-पश्चिम मानसून की अच्छी बारिश होने से इस बार चावल के शानदार घरेलू उत्पादन का अनुगमन लगाया जा रहा है।
इससे निर्यात योगय स्टॉक में बढ़ोत्तरी होगी। भारतीय चावल निर्यातक 2025-26 के मौजूदा मार्केटिंग सीजन (अक्टूबर-सितम्बर) में नए-नए उभरते बाजारों में निर्यात बढ़ाने का प्लान बना रहे हैं जिसमें इराक, इंडोनेशिया, सऊदी अरब एवं फिलीपींस जैसे देश भी शामिल हैं। अफ्रीका देशों में पहले से ही भारतीय चावल का भारी निर्यात हो रहा है।
भारतीय चावल निर्यातक महासंघ (आईरेफ) के उपाध्यक्ष का कहना है कि भारत पिछले 13-14 वर्षों से दुनिया में चावल का सबसे प्रमुख निर्यातक देश बना हुआ है और वैश्विक चावल निर्यात बाजार में करीब 42 प्रतिशत का योगदान देता है।
निर्यातकों का ध्यान अब ऐसे बाजारों पर केन्द्रित हो गया है जहां अभी तक भारतीय चावल की अपेक्षित पहुंच संभव नहीं हो सकी है। इन बाजारों में चावल का निर्यात बढ़ाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा
ताकि देश से इसके सकल निर्यात में में और भी बढ़ोत्तरी हो सके। भारत में चावल का विशाल स्टॉक पहले से ही मौजूद है और इस बार उत्पादन भी शानदार होने की उम्मीद है। इतना ही नहीं बल्कि भारतीय चावल का निर्यात ऑफर मूल्य भी प्रतिस्पर्धी स्तर पर बरकरार है।
थाईलैंड, वियतनाम, पाकिस्तान एवं अमरीका द्वारा संयुक्त रूप से जितने चावल का निर्यात किया जाता है उससे अधिक चावल का शिपमेंट अकेले भारत करता है।
सरकारी गोदामों में भी चावल का स्टॉक बढ़कर नए रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया है जबकि घरेलू बाजार में इसकी आपूर्ति एवं उपलब्धता की स्थिति काफी सुगम बनी हुई है।
खाद्य एवं कृषि संगठन (फाओ) की रिपोर्ट से पता चलता है कि 2024-25 सीजन के दौरान भारत में चावल का उत्पादन तेजी से बढ़कर 14.61 करोड़ टन के अन्य रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया जो कुल घरेलू मांग 12.07 करोड़ टन से काफी अधिक रहा।
अब भारतीय निर्यातकों ने ऐसे 26 देशों की पहचान की है जहां चावल का निर्यात बढ़ाने की अच्छी गुंजाईश है। इसमें चीन, जापान और मैक्सिको तक सम्मिलित है। इनमें से अनेक देश दूसरे देशों के चावल मंगाते हैं जबकि भारत वहां अपनी भागीदारी आसानी से बढ़ा सकता है।
