बिहार के कम से कम नौ जिलों में मानसूनी वर्षा का भारी अभाव
26-Jun-2025 03:57 PM

पटना। हालांकि पूर्वी भारत के एक महत्वपूर्ण कृषि उत्पादक राज्य- बिहार के कई जिलों पर दक्षिण-पश्चिम मानसून इस बार काफी मेहरबान दिख रहा है और वहां सामान्य औसत से ज्यादा बारिश हुई है
मगर कम से कम 9 जिले ऐसे हैं जहां बहुत कम या नगण्य वर्षा हुई है। इन जिलों में पूर्णिया, कटिहार, मुंगेर, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, शिवहर, पूर्वी चम्पारण (मोतिहारी), बेगूसराय एवं भागलपुर शामिल है।
दूसरी ओर बिहार के दक्षिणी एवं दक्षिणी-पश्चिमी भाग में अवस्थित जिलों में मानसून की वर्षा सामान्य औसत से काफी अधिक हुई है जिससे वहां खरीफ फसलों की बिजाई की रफ्तार तेज हो गई है।
इन जिलों में - गया, औरंगाबाद, रोहतास, कैमूर, अरबल, जहानाबाद, नवादा, शेखपुरा, जपुई, लखीसराय, सुपौल, खगड़िया एवं मधेपुरा सम्मिलित हैं। इन सभी जिलों में धान की खेती बड़े पैमाने पर होती है। वहां सामान्य औसत से काफी अधिक वर्षा होने से किसानों की सक्रियता बढ़ गई है।
इसके अलावा कुछ ऐसे जिले भी हैं जहां सामान्य औसत के समतुल्य या इससे कुछ अधिक बारिश हुई है। इसमें सहरसा, गोपालगंज, सीवान, भोजपुर एवं बक्सर शामिल है जबकि किशनगंज, पश्चिमी चम्पारण (बेतिया) में सामान्य बारिश हुई है।
सामान्य औसत से कुछ कम वर्षा वाले जिलों में समस्तीपुर, दरभंगा, वैशाली, पटना, नालंदा, अररिया तथा मधुबनी सम्मिलित हैं।
उपरोक्त आंकड़ों से स्पष्ट संकेत मिलता है कि बिहार में मानसून की वर्षा का वितरण काफी हद तक असमान रहा है जिससे कहीं मूसलाधार बारिश हुई है तो कहीं वर्षा का भारी अभाव बना हुआ है।
वैसे बिहार में धान सहित अन्य खरीफ फसलों की बिजाई लम्बे समय तक जारी रहती है और फसल की कटाई-तैयारी भी लेट से होती है इसलिए जून में जहां वर्षा बहुत कम या नगण्य हुई है वहां भी किसानों को घबराने या चिंतित होने की जरूरत नहीं है।
यदि जुलाई-अगस्त में उम्मीद के अनुरूप जोरदार बारिश हुई तो किसानों को बिजाई / रोपाई की रफ्तार बढ़ाने तथा जून की कमी को पूरा करने में सफलता मिल सकती है।
बंगाल की खाड़ी के ऊपर कम दाब का क्षेत्र बन रहा है जिससे बंगाल में भारी वर्षा होने की संभावना है। इसका एक सिरा बिहार एवं झारखंड में भी पहुंच सकता है।