जैव ईंधन प्रोग्राम से पॉल्ट्री उद्योग पर प्रतिकूल असर

26-Jun-2025 08:33 PM

नई दिल्ली। क्रूड खनिज तेल (पेट्रोलियम) के आयात पर निर्भरता घटाने तथा देश में स्वच्छ एवं हरित ऊर्जा का इस्तेमाल बढ़ाने के लिए सरकार ने पेट्रोल में एथनॉल के मिश्रण का जो महत्वकांक्षी कार्यक्रम आरंभ किया है वह सैद्धांतिक रूप से बहुत अच्छा है लेकिन परोक्ष रूप से छोटे-छोटे पोल्ट्री उत्पादकों को प्रभावित भी कर रहा है।

इसका मुख्य कारण एथनॉल निर्माण में मक्का का तेजी से बढ़ता इस्तेमाल है। दरअसल मक्का पॉल्ट्री फीड के लिए भी प्रमुख कच्चा माल होता है और इसका दाम बढ़ने पर पॉल्ट्री उत्पादकों को भारी कठिनाई होती है। 

मक्का का भाव ऊंचा होने से फीड के खर्च में 40 प्रतिशत तक का इजाफा हो गया है जिसे झेलना छोटे-छोटे मुर्गी पालकों के लिए मुश्किल हो रहा है।

जैव ईंधन कार्यक्रम का तेजी से विकास विस्तार हो रहा है और उसमें मक्का की मांग एवं खपत आगामी समय में तेजी से बढ़ने की उम्मीद है। इससे कीमतों में तेजी-मजबूती का माहौल बरकरार रह सकता है।

पहले मुर्गी पालन उद्योग को सस्ते दाम पर पर्याप्त मात्रा में मक्का प्राप्त हो रहा था और पशु आहार तथा स्टार्च निर्माण उद्योग को भी मक्का प्राप्त करने में कठिनाई नहीं हो रही थी।

इसके अलावा देश से अच्छी मात्रा में इस महत्वपूर्ण मोटे अनाजों का निर्यात भी हो रहा था और उद्योग में तेजी से बढ़ते उपयोग के कारण मक्का बाजार का संतुलन और समीकरण बिगड़ने लगा है। वहां कीमतों में प्रतिस्पर्धा भी आरंभ हो गई है।