बांग्ला देश में भारतीय रूई के प्रति आकर्षण बरकरार

06-Aug-2025 04:45 PM

चटगांव। यद्यपि भारत और बांग्ला देश के सम्बन्ध बहुत अच्छे नहीं है लेकिन फिर भी बांग्ला देशी स्पिनर्स एवं व्यापारी भारत से रूई की खरीद को प्राथमिकता दे रहे हैं क्योंकि इसका आयात कई कारणों से वहां लाभप्रद माना जा रहा है।

पड़ोसी देश होने के कारण परिवहन खर्च एवं समय कम लगता है और आयातक छोटी-छोटी खेपों में इसे मंगा सकते हैं। भारत में रूई का निर्यात योग्य स्टॉक उपलब्ध है। बांग्ला देश में भारत से आमतौर पर भारी मात्रा में रूई एवं कॉटन यार्न का आयात किया जाता है।

बांग्ला देश के गारमेंट मैन्युफैक्चर्स एंड एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन द्वारा सेन्ट्रल बैंक की रिपोर्ट के आधार पर संकलित आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान बांग्ला देश ने भारत से 68.40 करोड़ डॉलर मूल्य की रूई का आयात किया जो उसकी कुल जरूरत का 19.40 प्रतिशत था।

2023-24 के वित्त वर्ष में वहां कुल 3.52 अरब डॉलर मूल्य की रूई एवं यार्न का आयात हुआ था। रूई के शीर्ष आपूर्तिकर्ता देशों में ब्राजील दूसरे नंबर पर बरकरार रहा जिसकी भागीदारी बांग्ला देशी बाजार में 16.11 प्रतिशत रही। तीसरे स्थान पर 12.03 प्रतिशत के साथ बेनिन तथा चौथे नम्बर पर 10.12 प्रतिशत के साथ अमरीका रहा। 

आंकड़ों से पता चलता है कि समीक्षाधीन वर्ष के दौरान बांग्ला देश में ब्राजील से 56.80 करोड़ डॉलर, बेनिन से 42.40 करोड़ डॉलर तथा अमरीका से 35.70 करोड़ डॉलर मूल्य की रूई का आयात किया गया।

इसके अलावा 8 प्रतिशत रूई बुर्किना फासो से, 7.80 प्रतिशत ऑस्ट्रेलिया से, 7.01 प्रतिशत माली से तथा 6.40 प्रतिशत रुई कैमरून से मंगाई गई। इतना ही नहीं बल्कि वहां चीन से 40 लाख डॉलर तथा पाकिस्तान से 20 लाख डॉलर मूल्य की रूई का भी आयात किया गया। 

अमरीका ने बांग्ला देश को आयात शुल्क में सशर्त छूट देने का ऐलान किया है। उसका कहना है कि यदि बांग्ला देश रूई सहित अन्य कच्चे माल का कम से कम 20 प्रतिशत भाग अमरीका से आयात करेगा तो उसके उत्पादों को आयात शुल्क (टैरिफ) में छूट दी जाएगी। इससे प्रतीत होता है कि बांग्ला देश में अमरीकी रूई का आयात आगामी महीनों में तेजी से बढ़ सकता है।