अखरोट के बढ़ते आयात से कश्मीर के उत्पादक काफी चिंतित

23-Oct-2025 11:10 AM

श्रीनगर। अखरोट का भी कश्मीर घाटी में ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ की हड्डी बना हुआ था और बड़े पैमाने पर किसान इसकी खेती से अपनी आजीविका का उपार्जन करते थे लेकिन अब वहां अखरोट उद्योग को अपने अस्तित्व को बचाने के लिए कठिन संघर्ष करना पड़ रहा है

क्योंकि एक तो वहां बुनियादी ढांचागत सुविधाओं का अभाव है तथा बाजार से सम्पर्क की स्थिति भी अच्छी नहीं है और दूसरे, विदेशों से भारी मात्रा में सस्ते अखरोट का आयात हो रहा है जिसकी प्रतिस्पर्धी का सामना करने में कश्मीर के उत्पादकों को अत्यन्त कठिनाई हो रही है 

भारत में प्रतिवर्ष औसतन 3.20 लाख टन से अधिक अखरोट का उत्पादन होता है जिसमें अकेले जम्मू कश्मीर का योगदान 95 प्रतिशत से ज्यादा रहता है राष्ट्रीय स्तर पर करीब 1.09 लाख हेक्टेयर में अखरोट के बागान लगे हुए हैं।

जहां इसका व्यावसायिक उत्पादन होता है। इसमें से 89 हजार हेक्टेयर का क्षेत्रफल जम्मू -कश्मीर में मौजूद है। इसके अलावा हिमाचल प्रदेश एवं उत्तराखंड में भी इसका थोड़ा-बहुत उत्पादन होता है 

अखरोट के बागानी क्षेत्र एवं उत्पादन में जम्मू कश्मीर का वर्चस्व बना हुआ है लेकिन वहां उत्पादकों को अनेक कठिनाइयों एवं समस्याओं का सामना  भी करना पड़ रहा है।

राज्य में अखरोट की प्रोसेसिंग एवं पैकेजिंग की आधुनिक सुविधा का अभाव है और वहां संगठित या व्यवस्थित सूखा मेवा बाजार भी नहीं है। पिछ्ले एक दशक के दौरान जम्मू कश्मीर में अखरोट की अनेक प्रोसेसिंग इकाइयां बंद हो गईं जिससे उत्पादकों का संकट और भी बढ़ गया।

पुलवामा के उत्पादकों का कहना है कि इन प्रोसेसिंग प्लांटों को बंद करने के लिए इसलिए विवश होना पड़ा क्योंकि वे कैलिफोर्निया (अमरीका), चीन तथा चिली जैसे देशों से आयातित सस्ते अखरोट की प्रतिस्पर्धा में टिक नहीं पाए।

इसके अलावा अखरोट उद्योग पर 5 प्रतिशत का जीएसटी लागू होने से भी समस्या बढ़ गई सरकार को यह जीएसटी तत्काल हटा देना चाहिए। अखरोट के लिए व्यवस्थित बाजार होना आवश्यक है।