आईसीएआर के 2 जीनोम से संयुक्त धान की किस्मों के फायदे पर सवाल
31-Oct-2025 05:32 PM
 
        नई दिल्ली । जीएम मुक्त भारत के गठबंधन ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) द्वारा विकसित 2 जीनोम वाले धान की किस्मों के फायदे के दावे पर प्रश्न चिन्ह लगाते हुए आरोप लगाया है कि पूसा डीएसटी-1 तथा डीआरआर धान 100 (कमला) नामक किस्मों के ट्रायल का परिणाम उतना बेहतर नहीं है जितना दावा किया जा रहा है। इसकी सफलता के झूठे दावे किए जा रहे हैं और राई का पहाड़ बनाया जा रहा है।
चावल (धान) पर आईसीएआर के ऑल इंडिया कोऑर्डिनेटेड रिसर्च प्रोजेक्ट को वर्ष 2023 एवं 2024 की सामान्य रिपोर्ट का हवाला देते हुए गठबंधन ने कहा है कि परिषद का निष्कर्ष स्वयं ही इसके आंकड़ों से मेल नहीं खाता है और विरोधाभासी प्रतीत होता है।
गठबंधन ने जीनोम एडिटेड धान की किस्मों के प्रोमोशन में 'वैज्ञानिक धोखाधड़ी का आरोप भी आईसीएआर तथा कृषि मंत्रालय पर लगाया है।
स्मरणीय है कि दो जीनोम से संयुक्त धान की किस्मों की घोषणा गत 4 मई को केन्द्रीय कृषि मंत्री ने की थी। उस समय कहा गया था कि समूचे संसार में यह अपने तरह की पहली उपलब्धि है। इससे पूर्व नई प्रजाति का विकास एक ही जीनोम से होता रहा है।
गठबंधन के एक बयान में कहा गया है कि देश में जैव प्रौद्योगिकी लॉबी की यह आदत बन गई है कि वह कुछ जीनोम एडिटेड किस्मों को देश के लिए एक चमत्कार के तौर पर प्रचारित करती है। इससे पहले भी बीटी बैगन और जीएम सरसों के मामले में ऐसा देखा जा चुका है। वास्तविकता इससे भिन्न होती है।
पूसा डीएसटी-1 धान के बारे में दावा किया गया था कि खारा (लवणीय) तथा क्षारीय मिटटी में इसके उत्पादन का प्रदर्शन इसके गैर जीएम जनक एमटीयू 1010 से बेहतर रहता है जबकि डीआरआर धान 100 (कमला) के बारे में कहा गया था
कि इसकी औसत उपज दर 17 प्रतिशत ऊंची रहती है और परिपक्वता अवधि 20 दिन कम रहती है। इसमें नाइट्रोजन की कार्य कुशलता भी ऊंची होती है लेकिन बाद में जो आंकड़ा सामने आया वह इस दावे के विपरीत था।
