दाल-दलहन के बाद मसालों एवं सूखे मेवों का भाव भी काफी ऊंचा

25-Sep-2023 06:42 AM

भोपाल । खाद्य महंगाई में हुई बढ़ोत्तरी के लिए पहले दाल-दलहनों की महत्वपूर्ण भूमिका रही और अब मसालों तथा सूखे मेवों ने भी इसमें अपना योगदान देना शुरू कर दिया है। इससे गृहणियों का बजट बिगड़ने लगा है। ऐसे समय में मसालों का ऊंचा भाव आम आदमी के लिए कष्टदायक साबित हो रहा है।  

समीक्षकों का कहना है कि त्यौहारी सीजन के दौरान अक्सर मसालों एवं सूखे मेवों की मांग, खपत एवं कीमत बढ़ जाती है लेकिन इस बार अन्य खाद्य उत्पादों का भाव ऊंचा होने से लोगों की परेशानी ज्यादा बढ़ गई है।

पिछले कुछ दिनों के अंदर स्थानीय बाजार में काजू, मुनक्का, बादाम एवं मखाना के दाम में 50 से 100 रुपए प्रति किलो तक की तेजी आ गई। इसके अलावा मसालों के संवर्गे में लौंग, कालीमिर्च, इलायची एवं जीरा सहित कुछ अन्य जिंसों का दाम भी न केवल ऊंचे स्तर पर मौजूद है बल्कि इसमें तेजी-मजबूती का माहौल भी बना हुआ है।

हैरत की बात है कि थोक बाजार में मसालों एवं सूखे मेवों (ड्राई फ्रूट्स) का दाम 1 रुपया बढ़ता है तो खुदरा मूल्य डेढ़-दो रुपए तक उछल जाता है। इसे आम उपभोक्ताओं को भारी परेशानी होती है।

खुदरा बाजार में लौंग का भाव उछलकर 1100 रुपए प्रति किलो तथा कालीमिर्च का दाम बढ़कर 760-800 रुपए प्रति किलो के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया है। इसी तरह डोडा एवं जीरा के दाम में भी उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। 

व्यापार विश्लेषकों के अनुसार प्रतिकूल मौसम से विभिन्न मसालों का उत्पादन प्रभावित हो रहा है और पहले भी हो चुका है। इसके फलस्वरूप इसकी आवक की रफ्तार धीमी एवं मात्रा कम देखी जा रही है। बाजार में कुछ सटोरिया गतिविधि भी जारी है।

कुछ लोगों ने आगे दाम बढ़ने की उम्मीद से माल का स्टॉक रोकना शुरू कर दिया है जिससे कीमतों में तेजी का माहौल बना हुआ है। मसालों की मांग एवं  आपूर्ति के बीच अंतर बढ़ने लगा है।

अभी बाजार में त्यौहारी सीजन की मांग बनी हुई है मगर इसके अनुरूप आवक नहीं हो रही है। गणेश उत्सव के दौरान प्राय: नारियल, बादाम, किशमिश एवं छुहारा आदि की मांग बढ़ जाती है।