खाद्य तेल उद्योग को पुराना स्टॉक खत्म होने तक एमआरपी नहीं बढ़ाने का सुझाव

19-Sep-2024 07:58 PM

नई दिल्ली । केन्द्र सरकार ने 13 सितम्बर को एक अधिसूचना जारी करके क्रूड एवं रिफाइंड खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में 20-20 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी कर दी। इसके बाद केन्द्रीय खाद्य सचिव की अध्यक्षता में तेल उद्योग के महत्वपूर्ण संघों / संगठनों के प्रतिनिधियों की एक मीटिंग बुलाई गई।

इसमें खाद्य सचिव ने कहा है कि जब तक मिलर्स- प्रोसेसर्स एवं आयातकों के पास पुराने आयातित खाद्य तेलों का स्टॉक मौजूद है तब तक इसके उच्चतम खुदरा मूल्य (एमआरपी) में कोई इजाफा नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि उसे अत्यन्त नीचे स्तर के शुल्क पर विदेशों से मंगाया गया था।

13 सितम्बर से पूर्व क्रूड श्रेणी के खाद्य तेलों पर बुनियादी आयात शुल्क शून्य प्रतिशत एवं रिफाइंड खाद्य तेलों पर 12.5 प्रतिशत लागू था। 

खाद्य सचिव के साथ हुई बैठक में सॉल्वेंट एक्सट्रैक्टर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (सी), इंडियन वैजिटेबल ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईवीपीए) तथा सोयाबीन ऑयल प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (सोपा) के प्रतिनिधि शामिल थे।

इस बैठक में मूल्य निर्धारण की रणनीति पर विचार किया गया। इन अग्रणी खाद्य तेल संघों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया कि प्रत्येक खाद्य तेल का दाम पुराने स्तर पर तब तक बरकरार रहे जब तक उसका पुराना स्टॉक समाप्त नहीं हो जाता है। इसके लिए इन संघों को तत्काल अपने सदस्य मिलर्स-प्रोसेसर्स को आवश्यक सूचना जरुरी करनी चाहिए।

इससे पूर्व भी खाद्य विभाग के साथ मीटिंग के बाद खाद्य तेल कंपनियों द्वारा सोयाबीन तेल, सरसों तेल तथा सूरजमुखी तेल के ब्रैंडन पर एमआरपी में कटौती की गई थी।

उस समय एक तो सरकार ने खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को काफी घटा दिया था और दूसरे, इसके अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य में भी कमी आ गई थी।

उद्योग को समय-समय पर अपने ब्रांडेड खाद्य तेलों के दाम को अंतर्राष्ट्रीय बाजार मूल्य के अनुरूप रखने के लिए कहा जाता रहा है ताकि स्वदेशी उपभोक्ताओं पर ज्यादा भार न पड़ सके।