शुल्क मुक्त आयात की अवधि बढ़ने से पीली मटर के आयात में अच्छी बढ़ोत्तरी होने के आसार

16-Sep-2024 01:15 PM

मुम्बई । घरेलू प्रभाग में दाल-दलहनों की बढ़ती कीमतों पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से केन्द्र सरकार ने पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की अवधि में दो माह की बढ़ोत्तरी कर दी है। पहले इसकी समय सीमा 31 अक्टूबर तक नियत हुई थी जिसे अब 31 दिसम्बर 2024 तक बढ़ा दिया गया है। 

हालांकि देश में हाल के वर्षों में दलहनों की पैदावार में अच्छी बढ़ोत्तरी हुई है लेकिन फिर भी आयात पर निर्भरता बढ़ती जा रही है क्योंकि कुल उत्पादन घरेलू मांग एवं जरूरत को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं हो रहा है। भारत दुनिया में दलहनों का सबसे बड़ा उत्पादक, उपभोक्ता एवं आयातक देश बना हुआ है।

यहां सिर्फ मूंग को छोड़कर अन्य सभी प्रमुख दलहनों का विदेशों से भारी मात्रा में आयात हो रहा है जिसमें मसूर, तुवर एवं उड़द भी शामिल है।

केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ निकाय- विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने हाल ही में एक अधिसूचना जारी करके पीली मटर के शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा को दो माह के लिए बढ़ाने की घोषणा की है।

कनाडा और रूस जैसे शीर्ष उत्पादक एवं निर्यातक देशों में पीली मटर के नए माल की जोरदार आवक हो रही है और भारत में शुल्क मुक्त आयात की समय सीमा बढ़ने से आगामी महीनों में इसका आयात जारी रह सकता है।

सर्वप्रथम दिसम्बर 2023  शुल्क मुक्त आयात की अनुमति 31 मार्च 2024 तक के लिए दी गई थी और फिर उसकी समय सीमा पहले जून तक और फिर अक्टूबर 2024 तक बढ़ाई गई थी। उससे पूर्व पीली मटर पर 50 प्रतिशत का बुनियादी आयात शुल्क नवम्बर से ही लगा हुआ था।

यद्यपि वर्ष 2015-16 के मुकाबले 2023-24 के सीजन में दलहनों का घरेलू 163 लाख टन से बढ़कर 245 लाख टन पर पहुंचा लेकिन साथ ही साथ इसका उपयोग भी उछलकर 270 लाख टन पर पहुंच गया।

इस अंतर को पाटने के लिए 2023-24 में 45 लाख टन से अधिक दलहनों का आयात किया गया जिस पर 3.74 अरब डॉलर की भारी-भरकम विदेशी मुद्रा खर्च हुई। भारत में दलहनों का आयात मुख्यत: म्यांमार, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, रूस तथा कई अफ्रीकी देशों से होता है।

पहले चना (देसी) के आयात पर 60 प्रतिशत का बुनियादी आयात शुल्क लगा हुआ था मगर मई 2024 में इसे वापस ले लिया गया।

इसके साथ ही अब देश में मसूर, तुवर, उड़द, पीली मटर एवं देसी चना का शुल्क मुक्त आयात होने लगा है। पीली मटर का पहले ही विशाल आयात हो चुका है जबकि आगे इसमें और बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।