रुपए के अवमूल्यन से खाद्य तेलों के दाम में वृद्धि

12-Feb-2025 03:32 PM

मुम्बई। डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की विनिमय दर में भारी गिरावट आने से पिछले एक पखवाड़े के अंदर खाद्य तेलों के दाम में करीब 5 प्रतिशत की वृद्धि हो गई।

इसके साथ-साथ कुछ ऐसे फलों का भाव भी बढ़ गया जिसका विदेशों से आयात होता है। इसमें सूखे मेवे एवं नट्स भी शामिल हैं। 

भारत में खाद्य तेलों के आयात पर निर्भरता बढ़कर 60 प्रतिशत के आसपास पहुंच गई है इसलिए आयातित माल के महंगा होने का सीधा असर घरेलू बाजार मूल्य पर पड़ता है। निर्यातक देशों में भी खाद्य तेलों का दाम ऊंचा हो गया है।

इसके फलस्वरूप सोयाबीन तेल, सूरजमुखी तेल एवं पाम तेल के मूल्य में 5-6 रुपए प्रति किलो की वृद्धि हो गई। एक अग्रणी व्यापारिक संगठन के अनुसार दो सप्ताह पूर्व की तुलना में फिलहाल पाम तेल का भाव 140 रुपए से सुधरकर 145 रुपए प्रति किलो,

सोयाबीन तेल का 128 रुपए से बढ़कर 135 रुपए, सूरजमुखी तेल का 153 रुपए से उछलकर 158 रुपए, मूंगफली तेल का 183 रुपए से सुधरकर 185 रुपए, बिनौला (कॉटन सीड) तेल का 125 रुपए से बढ़कर 131 रुपए,

सरसों तेल का 163 रुपए से बढ़कर 166 रुपए तथा राइस ब्रान तेल का भाव 125 रुपए से बढ़कर 132 रुपए प्रति किलो हो गया। 

समझा जाता है कि प्रमुख निर्यातक देशों में खाद्य तेलों का निर्यात ऑफर मूल्य मजबूत होने लगा है। पहले पाम तेल का दाम  सूरजमुखी तेल के मुकाबले 150-200 डॉलर प्रति टन नीचे रहता था मगर अब उससे आगे पहुंच गया है।

पाम तेल की कीमतों में भारी तेजी आने के कारण सोयाबीन तेल एवं सूरजमुखी तेल के दाम में भी स्वाभाविक रूप से वृद्धि होने लगी है। अर्जेन्टीना में भारी सूखे का माहौल होने से सोयाबीन की फसल को खतरा बढ़ता जा रहा है।

इधर यूक्रेन में सूरजमुखी की पैदावार काफी घट गई है। इंडोनेशिया में बायोडीजल निर्माण में पाम तेल की विशाल मात्रा का उपयोग होने लगा है और आगे इसमें वृद्धि का सिलसिला जारी रह सकता है।

इससे निर्यात पर असर पड़ेगा। मलेशिया में बेंचमार्क क्रूड पाम तेल (सीपीओ) का वायदा भाव ऊंचे स्तर पर बरकरार है।

लेकिन ब्राजील में सोयाबीन का उत्पादन उछलकर सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने का अनुमान है। रुपए की विनिमय दर मजबूत होने पर ही खाद्य तेलों के आयात खर्च में कुछ कमी आ सकती है।