प्रमुख आयातक देशों में भारतीय मक्के की मांग में भारी गिरावट

05-Sep-2024 11:21 AM

मुम्बई । पशु आहार एवं पॉल्ट्री फीड उद्योग, स्टार्च निर्माण इकाइयों तथा एथनॉल निर्माताओं के बीच मक्का की अधिक से अधिक मात्रा हासिल करने के लिए जबरदस्त होड़ मची हुई है जिससे इस महत्वपूर्ण मोटे अनाज का घरेलू बाजार भाव बढ़कर वैश्विक बाजार मूल्य से काफी ऊंचा हो गया है।

इसके फलस्वरूप वियतनाम, बांग्ला देश, मलेशिया तथा नेपाल जैसे प्रमुख परम्परागत आयातक देश भी अब भारत के बजाए अमरीका, ब्राजील एवं अर्जेन्टीना जैसे देशों से मक्का के आयात को प्राथमिकता दे रहे हैं। स्टार्च निर्माण उद्योग में प्रति वर्ष 60-70 लाख टन मक्का की खपत होती है। 

वियतनाम द्वारा हाल के महीनों में भारतीय मक्के के आयात में भारी कटौती की गई है क्योंकि इसका भाव अत्यन्त ऊंचा रहा है। अन्य देशों ने भी भारत से मक्का खरीदना लगभग बंद कर दिया है।

भारतीय निर्यातक इस स्थिति में नहीं है कि विदेशी आयातकों को प्रतिस्पर्धी मूल्य स्तर पर मक्का निर्यात का ऑफर दे सके। 

एथनॉल निर्माण में मक्का का उपयोग तेजी से बढ़ने के कारण इसके घरेलू बाजार मूल्य में उछाल आया है जिससे इसका निर्यात प्रदर्शन बुरी तरह प्रभावित हो रहा है और आगे भी प्रदर्शन सुधरने के बहुत कम आसार हैं।

चालू खरीफ सीजन में राष्ट्रीय स्तर पर मक्का का बिजाई क्षेत्र बढ़कर 87.27 लाख हेक्टेयर पर पहुंच गया है जो पिछले साल के क्षेत्रफल 82.86 लाख हेक्टेयर से 4.41 लाख हेक्टेयर ज्यादा है मगर कुछ क्षेत्रों में बाढ़-वर्षा से फसल को हो रहे नुकसान को देखते हुए इसके कुल उत्पादन में ज्यादा इजाफा होने की उम्मीद नहीं है।

सरकार ने मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 6.3 प्रतिशत बढ़ाकर 2024-25 सीजन के लिए 2225 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित कर दिया है जिससे निर्यातकों के लिए कठिनाई और भी बढ़ गई है।

वैश्विक बाजार में मक्का का भाव घटकर गत  चार वर्षों के निचले स्तर पर आ गया है जबकि भारत में इसका दाम लगातर ऊंचा और मजबूत होता जा रहा है।