पंजाब में चावल के भंडारण का गंभीर संकट उत्पन्न होने की आशंका

22-Aug-2025 08:18 PM

चंडीगढ़। केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य- पंजाब में मौजूदा खरीफ सीजन के दौरान धान का उत्पादन क्षेत्र बढ़कर 32.49 लाख हेक्टेयर के शीर्ष स्तर पर पहुंच गया और वहां मौसम तथा मानसून की हालत भी फसल के लिए काफी हद तक अनुकूल बनी हुई है।

इसके फलस्वरूप राज्य में धान का शानदार उत्पादन होने के आसार हैं जिससे इसकी खरीद और चावल के भंडारण का संकट एक बार फिर गंभीर हो सकता है।

राइस मिलर्स ने पहले ही घोषणा कर दी है कि वे हाइब्रिड वैरायटी के धान की मीलिंग नहीं करेंगे। दिलचस्प तथ्य यह है कि पंजाब सरकार ने हाइब्रिड बीज  वाले धान की खेती पर प्रतिबंध लगा दिया था लेकिन पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के निर्णय को खारिज कर दिया।

पंजाब में खाद्यान्न के भंडारण की स्थिति पहले से ही जटिल बनी हुई है। वर्तमान समय में राज्य में मौजूदा भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों / वेयर हाउसों में करीब 146 लाख टन चावल तथा 77.86 लाख टन गेहूं का विशाल भंडार मौजूद है। पंजाब में खाद्यान्न की कुल भंडारण क्षमता 180 लाख टन की है।

चूंकि 2025-26 के खरीफ मार्केटिंग सीजन के दौरान राज्य की मंडियों में लगभग 190 लाख टन धान की विशाल मात्रा की आवक होने का अनुमान है इसलिए वहां आगामी महीनों में राइस मिलर्स से प्राप्त चावल की भारी-भरकम मात्रा का भंडारण करने में जबरदस्त कठिनाई हो सकती है। 

राइस मिलर्स का कहना है की हाइब्रिड धान की मिलिंग करना आर्थिक दृष्टि से नुकसानदायक होता है।  धान की मिलिंग करने पर 66 प्रतिशत साबुत चावल प्राप्त होता है मगर हाइब्रिड धान की मिलिंग चावल में पूरे दाने का अंश बढ़कर 45 प्रतिशत तक पहुंच जाता है।

भारतीय खाद्य निगम के नियमों को पूरा करने के लिए मिलर्स को अपने स्तर से चावल खरीदने की जरूरत पड़ेगी। मिलर्स ऐसा क्यों करना चाहेंगे। 

पंजाब राइस मिलर्स एसोसिएशन ने आईआईटी खड़गपुर द्वारा पिछले साल हाइब्रिड धान पर तैयार की गई रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है ताकि वास्तविक स्थिति का पता चल सके। एसोसिएशन के प्रधान का कहना है कि पिछले साल के धान का चार लाख टन का स्टॉक अब भी राइस मिलर्स के पास पड़ा हुआ है।

चूंकि खाद्य निगम की विनिर्दिष्टता में चावल के कुल स्टॉक में केवल 25 प्रतिशत पूरे दाने की मौजूदगी की अनुमति दी गई है इसलिए सरकार को हाइब्रिड धान के ट्रायल की स्वीकृति देनी चाहिए। 

पंजाब में माझा, दोआब तथा मालवा क्षेत्र में हाइब्रिड धान की खेती इस वर्ष भी बड़े पैमाने पर हुई है क्योंकि इसकी उपज दर ऊंची होने से किसानों को अधिक फायदा होता है लेकिन राइस मिलर्स द्वारा इस हाइब्रिड धान की मिलिंग से इंकार करने के कारण एक नया संकट पैदा हो सकता है।