पंजाब के लिए सरकारी गेहूं का कोटा बढ़ाने की मांग

27-Dec-2024 08:04 PM

लुधियाना । पंजाब फ्लोर मिलर्स एसोसिएशन के एक पूर्वी अध्यक्ष ने केन्द्रीय एजेंसी- भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से खुले बाजार बिक्री योजना (ओएमएसएस) के तहत पंजाब के लिए गेहूं की आवंटित मात्रा में और भी बढ़ोत्तरी करने का आग्रह किया है।

उनका कहना था कि राज्य की मंडियों में गेहूं की आपूर्ति लगभग पूरी तरह ठप्प पड़ गई है और फ्लोर मिलर्स अब सिर्फ एफसीआई के गेहूं पर ही निर्भर है।

इसके साथ साथ पंजाब में गेहूं की बिक्री के लिए नीलामी की प्रक्रिया मार्च 2025 के अंत तक जारी रखी जानी चाहिए क्योंकि राज्य में अप्रैल से नए गेहूं की आवक शुरू होती है। 

हालांकि भारतीय खाद्य निगम ने 26 दिसम्बर  को आयोजित साप्ताहिक ई-नीलामी के तहत पंजाब में बिक्री के लिए गेहूं के आवंटित कोटे में 2000 टन की अच्छी बढ़ोतरी कर दी थी लेकिन फ्लोर मिलर्स / प्रोसेसर्स की जबरदस्त मांग को देखते हुए यह बढ़ोतरी पर्याप्त नहीं मानी जा रही है।

दरअसल केन्द्रीय पूल में खाद्यान्न (चावल एवं गेहूं) का सर्वाधिक योगदान देने वाले राज्य-पंजाब के साथ समस्या यह है कि वहां उत्पादित गेहूं का अधिकांश भाग सरकारी एजेंसियों द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद किया जाता है

जिससे खुले बाजार में बेचने के लिए किसानों के पास इसका बहुत कम स्टॉक बचता है। जून से नवम्बर तक किसान अपने अधिशेष स्टॉक की बिक्री कर चुके थे क्योंकि उन्हें आकर्षक मूल्य प्राप्त हो रहा था। 

दिसम्बर के प्रथम सप्ताह से भारतीय खाद्य निगम द्वारा ओएमएसएस के तहत गेहूं की बिक्री आरंभ की गई और तब तक मिलर्स / प्रोसेसर्स के पास किसानों से खरीदे गए गेहूं का थोड़ा-बहुत स्टॉक बचा हुआ था।

वैसे भी उसकी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नहीं है कि वे पूरे साल की जरूरत के लायक गेहूं खरीद कर उसका स्टॉक अपने पास रख सकें।

पंजाब में गेहूं की बिजाई तो पहले ही समाप्त हो चुकी है मगर फसल की कटाई-तैयारी शुरू होने में काफी देर है। यदि मिलर्स / प्रोसेसर्स के लिए सरकारी गेहूं का कोटा नहीं बढ़ाया गया तो उसे अपनी क्रशिंग (मिलिंग) क्षमता का उपयोग घटाने के लिए विवश होना पड़ेगा।