मानसून पर आश्रित खाद्यान्न का उत्पादन चिंता का विषय

28-Sep-2023 03:29 PM

नई दिल्ली । देश का 50 प्रतिशत से अधिक कृषि क्षेत्र आसमानी वर्षा पर आश्रित है और इसलिए खाद्यान्न सहित अन्य फसलों के उत्पादन का भविष्य एवं परिदृश्य हमेशा अनिश्चित बना रहता है। खरीफ फसलों की मानसून पर निर्भरता रबी फसलों से ज्यादा रहती है। 

यद्यपि देश में दो मानसून- दक्षिण-पश्चिम एवं उत्तर-पूर्व सक्रिय रहता है और मानसून से पहले भी मार्च-मई के दौरान वर्षा होती है लेकिन इस पर पूरी तरह भरोसा नहीं किया जा सकता है। इसका कारण यह है कि कई बार अल नीनो की वजह से मानसून कमजोर पड़ जाता है और देश में सूखे जैसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है। इसी तरह वर्षा एक वितरण असमान होता है। 

कुछ भागों में जरूरत से ज्यादा बारिश होने से खेतों में पानी जमा हो जाता है और बाढ़ भी आ जाती है तो कुछ अन्य क्षेत्रों में वर्षा का अभाव होने से फसलों के सूखने का खतरा रहता है।

वैसे भी भारत एक गर्म देश है जहां मार्च से सितम्बर तक तापमान काफी ऊंचा रहता है। जून-सितम्बर के दौरान जब भयंकर गर्मी एवं खरीफ फसलों का बिजाई का समय रहता है तभी दक्षिण-पश्चिम मानसून की आवक एवं सक्रियता होती है। 

यदि बारिश अच्छी हो तो खरीफ फसलों का उत्पादन बेहतर होता है अन्यथा पैदावार कमजोर होती है। मानसून पर भारत वैसे विशाल एवं कृषि प्रधान देश की सीमित निर्भरता होनी चाहिए ताकि खाद्यान्न उत्पादन में गिरावट की न्यूनतम आशंका रहे।

राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा की जरूरतों एवं निर्यात मांग को पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न का उत्पादन होना आवश्यक है।