मोजाम्बिक के राष्ट्रपति के भारत दौरे से तुवर आयात का विवाद सुलझने की उम्मीद

09-Jan-2024 04:26 PM

नई दिल्ली । अफ्रीकी देश- मोजाम्बिक के राष्ट्रपति का भारत दौरा आज यानी 9 जनवरी से आरंभ होने वाला है। अरहर (तुवर) आयात के मुद्दे पर दोनों देशों के बीच कुछ विवाद उत्पन्न हो गया है जिसे इस दौरे के दौरान सुलझाने का प्रयास किया जा सकता है।

समझा जाता है कि मोजाम्बिक के बंदरगाहों एवं आसपास के वेयरहाउस में 2.00-2.50 लाख टन तुवर का स्टॉक पड़ा हुआ है जिसे भारत को निर्यात होना है मगर एक अदालती स्थगन आदेश के कारण यह संभव नहीं हो रहा है।

अफ्रीका में मोजाम्बिक भारत को तुवर की आपूर्ति करने वाला सबसे प्रमुख देश है जबकि भारत कुछ अन्य अफ्रीकी देशों- मलावी एवं सूडान आदि से भी अरहर का आयात करता है। 

एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि भारत के साथ दोस्ती एवं सहयोग के सम्बन्ध को और भी मजबूत बनाने के उद्देश्य से मोजाम्बिक के राष्ट्रपति मंगलवार से भारत के राजकीय दौरे पर रहेंगे। भारतीय प्रधानमंत्री के नियंत्रण पर वे यह यात्रा कर रहे हैं जो चार दिनों की होगी। 

राष्ट्रपति कार्यालय ने अपने बयान में कहा है की मोजाम्बिक के राष्ट्रपति का भारत दौरा दोनों देशों के बीच सहयोग को मजबूत बनाने तथा मोजाम्बिक में निवेश के अवसरों को बढ़ाने के संदर्भ में है।

मोजाम्बिक के राष्ट्रपति वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल सम्मिट के 10 वें संस्करण में भी भाग लेंगे। समझा जाता है कि मोजाम्बिक के राष्ट्रपति फिलिप न्यूसी का भारत दौरा ऐसे समय में हो रहा है जब भारत को तुवर के निर्यात शिपमेंट को नियंत्रण मुक्त करने के मुद्दे पर वहां कोर्ट में दो कंपनियों के बीच विवाद बना हुआ है और इसके फलस्वरूप मोजाम्बिक के बंदरगाहों पर भारी मात्रा में तुवर का स्टॉक अटका हुआ है। 

दिसम्बर के अंत में कॉन फेडरेशन ऑफ इकोनॉमिक एसोसिएशन ऑफ मोजाम्बिक ने स्पष्ट किया था कि बंदरगाहों पर तुवर की रोकी गई खेपों का शिपमेंट भारत को पहले ही से शुरू कर दिया गया है।

इसके साथ-साथ संस्था ने यह भी कहा था कि भविष्य में इस तरह की किसी समस्या को रोकने का सबसे अच्छा विकल्प यही है कि तुवर की निर्यात नीति को पूरी तरह उदार बना दिया जाए और सभी बाजारों तक इसकी मुक्त पहुंच की व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।

ज्ञात हो कि भारत और मोजाम्बिक के बीच वर्ष 2016 में आपसी सहमति के एक समझौते पर हस्ताक्षर हुआ था जिसमें मोजाम्बिक से प्रति वर्ष एक निश्चित मात्रा में तुवर के आयात का प्रावधान किया गया था।