महाराष्ट्र के अधिकतर तुवर उत्पादक जिलों में वर्षा की जरूरत

06-Sep-2023 09:17 AM

लातूर (भारती एग्री एप्प)। देश के सबसे प्रमुख अरहर (तुवर) उत्पादक राज्य- महाराष्ट्र के अधिकांश प्रमुख उत्पादक जिलों में दक्षिण-पश्चिम मानसून सीजन की बारिश सामान्य औसत से कम होने के कारण फसल की प्रगति में बाधा पड़ रही है।

हालांकि वहां इस बार सामान्य औसत के मुकाबले नांदेड में 22 प्रतिशत तथा यवतमाल जिले में 2 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है लेकिन शेष उत्पादक जिलों में वर्षा कम हुई।

इसके तहत लातूर में 10 प्रतिशत, अमरावती में 40 प्रतिशत, गढ़ चिरौली में 3 प्रतिशत, बुलढाणा में 29 प्रतिशत, सांगली में 38 प्रतिशत, कोल्हापुर में 18 प्रतिशत, हिंगोली में 40 प्रतिशत, परभणी में 32 प्रतिशत, वर्षा में 16 प्रतिशत तथा उस्मानाबाद जिले में 25 प्रतिशत कम बर्षा दर्ज की गई।

महाराष्ट्र की तुलना में कर्नाटक में वर्षा की स्थिति बेहतर है। वहां सामान्य औसत के मुकाबले गुलबर्गा जिले में 13 प्रतिशत, बीदर में 6 प्रतिशत तथा गडग में 8 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है जबकि बीजापुर में 6 प्रतिशत तथा गडग में 8 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई है जबकि बीजापुर में 6 प्रतिशत, बेलगाम में 12 प्रतिशत, रायचूर में 4 प्रतिशत, यदगीर में 2 प्रतिशत एवं बगलकोट में 3 प्रतिशत कम बारिश हुई।

इस तरह जहां वर्षा कम हुई है वहां भी इसका अंतर बहुत अधिक नहीं है। कर्नाटक तुवर का दूसरा सबसे प्रमुख उत्पादक राज्य है। 
अच्छी बात यह है कि मौसम विभाग ने दक्षिण-पश्चिम मानसून के सक्रिय होने तथा देश के अनेक राज्यों में अच्छी वर्षा होने की संभावना व्यक्त की है जिसमें महाराष्ट्र एवं कर्नाटक भी शामिल है।

इन दोनों प्रांतों के विभिन्न भागों में 6 से 10 सितम्बर के बीच अच्छी बारिश होने का अनुमान लगाया गया है जिससे तुवर की फसल को काफी राहत मिल सकती है। अगस्त के प्रतिकूल मौसम से तुवर की फसल बुरी तरह आहात हो गई थी मगर अब इसमें सुधार आने के आसार हैं। इससे घरेलू बाजार मूल्य पर दबाव कुछ बढ़ सकता है।