मगज-तरबूज की कीमतों में गिरावट
07-Aug-2025 07:10 PM

मगर अधिक मन्दा नहीं
नई दिल्ली। विगत कुछ समय से मगज-तरबूज की कीमतों में गिरावट का दौर बना हुआ है। मगर सूत्रों का कहना है कि 15 अगस्त के पश्चात गिरती कीमतें रुकनी चाहिए और सितम्बर-अक्टूबर माह में भाव 40/50 रुपए बढ़ने चाहिए। क्योंकि इस वर्ष आयात की कोई संभावना नहीं है। साथ ही देसी मालों की आवक दीपावली के आसपास शुरू होगी। सूत्रों का मानना है कि विगत एक माह से कारोबार कम हो रहा है। जिस कारण से भाव लगातर घट रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि जुलाई माह के शुरू में जोधपुर मंडी में सूडान मगज-तरबूज का भाव 640/650 रुपए एवं देसी मालों का भाव 630 रुपए बोला जा रहा था। जोकि वर्तमान में सूडान का भाव 575 रुपए एवं देसी का भाव 565 रुपए बोला जाने लगा है लेकिन वर्तमान भावों पर भी व्यापार कम है। व्यापारियों का कहना है कि रक्षाबंधन एवं जन्माष्टमी पर्व के पश्चात व्यापार सुचारु रूप से चलेगा और भाव भी धीरे-धीरे बढ़ेंगे। एक अनुमान के अनुसार वर्ष 2023 में देश में पैदावार कम होने एवं सूडान में गृह युद्ध के चलते मगज-तरबूज का आयात प्रभावित हुआ था जिस कारण से नवम्बर-दिसम्बर-2023 में मगज-तरबूज के भाव 820/830 रुपए के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गए थे।
बिजाई
प्रमुख उत्पादक राज्य राजस्थान में मानसून की पर्याप्त बारिश होने के कारण संभावना व्यक्त की जा रही है मगर तरबूज की बिजाई संतोषजनक रहेगी। जबकि नई फसल दीपावली के आसपास शुरू होगी। वर्ष 2023 की रिकॉर्ड तेजी आने के पश्चात किसानों का रुझान मगज तरबूज की खेती की तरफ बढ़ा है। जिस कारण से देश में मगज तरबूज का उत्पादन बढ़कर 45/50 हजार टन का होने लगा है। वर्ष 2023 से पूर्व मगज तरबूज का उत्पादन 30/32 हजार टन का होता था और भाव भी 125/150 के बीच रहे थे।
मंदा-तेजी
सूत्रों का मानना है कि मगज तरबूज की वर्तमान कीमतों में अब मंदे की संभावना नहीं है। क्योंकि भाव काफी घट चुके हैं। वर्तमान में दिल्ली बाजार में भाव 600/605 रुपए बोला जा रहा है जोकि जुलाई माह के शुरू में 660/665 रुपए बोला जा रहा था।
आयात मजबूरी
खपत की तुलना में देश में मगज-तरबूज का उत्पादन कम होने के कारण आयात हमारी मजबूरी बन गया है। सूत्रों का कहना है कि मगज-तरबूज की हमारी सालाना खपत लगभग 85/90 हजार टन की रहती है जबकि घरेलू उत्पादन 45/50 हजार टन का रहता है अतः खपत पूर्ति के लिए आयात आवश्यक है।
स्टॉक
कारोबारियों का कहना है कि वर्ष 2024-25 के दौरान आयात अधिक होने से नई फसल आने तक स्टॉक पर्याप्त है। एक अनुमान के अनुसार उत्पादक केन्द्रों पर वर्तमान में देसी मालों का स्टॉक 4/5 हजार टन माना जा रहा है जबकि विदेशी मालों का स्टॉक 15/17 हजार टन माना जा रहा है। देश में नए मालों की आवक दीपावली के आसपास शुरू होगी।
रिकॉर्ड आयात
वर्ष 2024-25 (अप्रैल-मार्च) के दौरान मगज-तरबूज का रिकॉर्ड आयात किया गया। सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार आयात 86273 टन का रहा। सर्वाधिक आयात जुलाई-अगस्त 2024 में किया गया। जुलाई 2024 के दौरान 25161.84 टन एवं अगस्त में 25856.76 टन का आयात हुआ। वर्ष 2023-24 में आयात 35750 टन का हुआ था जबकि वर्ष 2022-23 में आयात 65989 टन का रहा था। वर्ष 2021-22 में आयात केवल 20355 टन का हुआ था।